नई दिल्ली। अमेरिकी प्रशासन 1982 में पाकिस्तान में चोरी-छिपे चलाए जा रहे परमाणु कार्यक्रमों को लेकर चिंतित था और उसे यह भी डर था कि पाकिस्तान अन्य देशों को परमाणु अवयव दे सकता है लेकिन तत्कालीन राष्ट्रपति जिया उल हक ने ऐसी किसी भी शंका को खारिज करते हुए कहा था कि पाकिस्तान की छवि खराब करने के लिए भारत इस तरह का प्रचार कर रहा है।
अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए ने कुछ दस्तावेज सार्वजनिक किए हैं, जिनमें इस बात का खुलासा किया गया है। जिया ने उस वक्त के अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन को एक पत्र लिखकर कहा था कि पाकिस्तान के पास न तो हैं और नहीं उसने किसी को परमाणु अवयवों के विशेष विवरण और डिजाइन दिए हैं। साथ ही परमाणु हथियारों के प्रसार में भूमिका निभाने के बारे में पाकिस्तान सोच भी नहीं सकता।
5 जुलाई 1982 को लिखे एक गोपनीय पत्र में जिया ने भारत के संदर्भ में कहा था कि पाकिस्तान के अमेरिका के साथ संबंधों को कमजोर करने के ‘खुले और कपटपूर्ण’ प्रयास चल रहें हैं। साथ ही क्षेत्र में चल रहे महत्वपूर्ण घटनाक्रमों से ध्यान भटकाने के लिए शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रमों को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है।