नंदीग्राम मुद्दे को लेकर माकपा तथा कांग्रेस में वाकयुद्ध शुरू हो गया है। माकपा ने नंदीग्राम घटनाक्रम को 'राज्य प्रायोजित नरसंहार' बताए जाने के लिए मंगलवार को केन्द्रीय मंत्री प्रियरंजन दासमुंशी की कड़ी आलोचना की।
पार्टी ने मंत्री की इस टिप्पणी को निंदनीय तथा स्तब्धकारी करार देने के साथ ही आरोप लगाया कि दासमुंशी नंदीग्राम पर कब्जा करने के लिए तृणमूल कांग्रेस समर्थित सशस्त्र हुड़दंगियों की मदद कर रहे हैं और उन्हें उकसा रहे हैं।
माकपा नेताओं सीताराम येचुरी तथा बासुदेव आचार्य ने संयुक्त बयान में कहा कि पिछले 11 महीने में जब से तृणमूल कांग्रेस समर्थित सशस्त्र हुड़दंगियों ने नंदीग्राम पर कब्जा जमाया है। दासमुंशी हर स्तर पर ऐसी ताकतों को समर्थन दे रहे हैं और उकसा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि दासमुंशी ने मार्च में नंदीग्राम में संचार सुविधाएँ बहाल करने के लिए पुलिस के हस्तक्षेप की निंदा की थी और इस माह के शुरुआत में अशांत क्षेत्र में सीआरपीएफ की बटालियन भेजने की राज्य सरकार की अपील का विरोध किया था।
क्या कहा था दासमुंशी ने : प्रियरंजन दासमुंशी ने नंदीग्राम में जारी हिंसा पर गहरा दुख जताते हुए इसे 'राज्य प्रायोजित नरसंहार' की संज्ञा दी थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि राज्य सरकार अशांत स्थिति को नियंत्रित करने के लिए केन्द्रीय सुरक्षा बलों का इस्तेमाल नहीं कर रही है। उन्होंने कहा- सरकार का यह दावा गलत है कि नंदीग्राम में सीआरपीएफ तैनात कर दी गई है, बल्कि सही यह है कि सीआरपीएफ के जवान नंदीग्राम के किसी कोने में खड़े हैं और उन्हें अभी तक तैनात नहीं किया गया है।
दासमुंशी ने कहा था कि पूरे राज्य को विनाश की तरफ धकेला जा रहा है। उन्होंने नंदीग्राम में इस स्थिति के लिए माकपा को जिम्मेदार ठहराया और इसे पार्टी की 'सामूहिक रणनीति' बताया। दासमुंशी ने कहा- यदि हत्या और बलात्कार की घटनाओं तथा 14 मार्च को हुई घटनाओं के दोषी लोगों को गिरफ्तार कर लिया जाता तो उस क्षेत्र में कुछ नहीं हुआ होता।