Devi Siddhidatri : देवी सिद्धिदात्री के चमत्कारी मंत्र, नवरात्रि के नौंवे दिन लगाएं यह भोग

नवमी तिथि पर साधारणतया माता दुर्गा का पूजन, अर्चन, हवन किया जाता है। लेकिन इस‍ तिथि की अधिष्ठात्री देवी माता सिद्धिदात्री हैं। सभी सिद्धियों को देने वाली माता कृपालु, दयालु तथा भक्त वत्सल हैं।
 
इनका मंत्र इस प्रकार है।
 
'ॐ सिद्धिदात्र्यै नम:।'
 
पूजन-अर्चन के पश्चात हवन, कुमारी पूजन, अर्चन, भोजन, ब्राह्मण भोजन करवाकर पूर्ण होता है।
 
समस्त स्त्रियों में मातृभाव रखने हेतु मां का मंत्र जपा जाता है जिससे देवी अत्यंत प्रसन्न होती हैं। भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। घृत, तिल, भोजपत्र होमद्रव्य हैं।
 
'विद्या: समस्तास्तव देवि भेदा:
स्त्रिय: समस्ता: सकला जगत्सु।
त्वयैकया पूरितमम्बयैतत्
का ते स्तुति: स्तव्यपरा परोक्ति:।।'
 
स्वर्ग तथा मोक्ष पाने हेतु निम्न मंत्र का जप करें। पत्र, पुष्प, तिल, घृत होम द्रव्य हैं।
 
'सर्वभूता यदा देवी स्वर्गमुक्ति प्रदायिनी।
त्वं स्तुता स्तुतये का वा भवन्तु परमोक्तयः।।'
 
भूमि, मकान की इच्‍छा रखने वाले निम्न मंत्र को जपें। साधारण द्रव्य होम के लिए प्रयुक्त करें।
 
'गृहीतोग्रमहाचक्रे दंष्ट्रोद्धृतवसुन्धरे।
वराहरूपिणि शिवे नारायणि नमोऽस्तुते।।'
 
संतान प्राप्ति की इच्‍छा रखने वाले व्यक्ति, स्त्री या पुरुष निम्न मंत्र का जप करें।
 
'नन्दगोप गृहे जाता यशोदा-गर्भ-सम्भवा।
ततस्तौ नाशयिष्यामि, विन्ध्याचल निवासिनी।।'
 
घृत व मक्खन से आहुति दें। इच्‍छा अवश्य पूर्ण होगी।
 
देवी के पूजन, अर्चन, जप इत्यादि में समय का अवश्य ध्यान रखें अन्यथा कृपा प्राप्त न होगी। नैवेद्य जरूर चढ़ाएं तथा आर्तभाव से प्रार्थना करें।
 
नैवेद्य एवं प्रसाद- नवरात्रि की नवमी के दिन तिल का भोग लगाकर ब्राह्मण को दान दें। इससे मृत्यु भय से राहत मिलेगी। साथ ही अनहोनी होने की घटनाओं से बचाव भी होता है।

ALSO READ: Siddhidatri : नवरात्रि के अंतिम दिन पूजी जाती हैं मां सिद्धिदात्री, शिव भी करते हैं उपासना

ALSO READ: Story of Devi Siddhidatri : नवरात्रि के नौवीं देवी सिद्धिदात्री की पावन कथा

ALSO READ: विजयादशमी : जानिए कब है दशहरा, खरीदी और पूजन के शुभ मुहूर्त

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी