इच्छापूर्ति के लिए श्री दुर्गा सप्तशती से बड़ा कोई ग्रंथ नहीं है। इसे पांचवां वेद कहा गया है। ऐसी कोई कामना नहीं, जिसकी पूर्ति इसके मंत्रों के प्रयोग से पूर्ण न हो। कुछ विशेष मंत्र नीचे दिए गए हैं तथा उनका प्रयोग भी साथ है।
6. समस्त कार्यों की सिद्धि तथा देवी कृपा प्राप्ति के लिए-
'शरणागत-दीनार्त-परित्राण-परायणे,
सर्वस्यार्तिहरे देवि! नारायणि! नमोस्तुते।'
उपरोक्त मंत्रों का प्रयोग यथाशक्ति 11-21-51 माला प्रतिदिन देवी का पूजन करने के पश्चात रुद्राक्ष की माला से कर अंत में प्रचलित पदार्थों के प्रयोग से हवन करें।
कन्या तथा ब्राह्मण भोजन अवश्य कराएं। कामनापूर्ति होगी।