मंत्र जप करने वाले की शरीर में कुछ प्रतिक्रिया होती है, कुछ अनुभव होते हैं। अगर मंत्र सिद्ध हो जाता है, तो सुषुम्ना नाड़ी में प्रकाश का अनुभव होता है और शरीर के छहों चक्र दिखाई देने लगते हैं। इसे देखने के लिए मन एकाग्र होना चाहिए। साधक को ऐसा अनुभव होता है कि शरीर के अंदर कई स्थानों पर तारे टिमटिमा रहे हैं।
* नींद में पूर्णिमा का चंद्रमा, गंगा, सूर्य, शिवलिंग दिखाई दे तो समझना चाहिए कि मंत्र सिद्ध हो रहा है।
* इसी तरह जमीन, नाव से नदी, तालाब, या समुद्र पार करना, अग्नि की पूजा, जलती हुई आग, हंस, कोयल, मोर, कन्या, छत्र, रथ, दीपक, महल, कमल, हाथी, बैल, फूलों की माला, रुद्राक्ष की माला, समुद्र, हरा पेड़ पर्वत, घोड़ा वगैरह दिखाई दे तो इसे मंत्र सिद्धि का लक्षण मानना चाहिए।
* ऋषियों ने मंत्र सिद्धि के और बहुत से लक्षण बताए हैं। स्वप्न में दही-चावल खाना, सफेद वस्त्र पहनना, शरीर में सफेद चंदन का लेप करना, खून से अपने आपको नहाते देखना, सिंहासन रथ, ध्वजा और गहना देखना, अपना या किसी दूसरे का राज्याभिषेक देखना, गुरु, देवता, ब्राह्मण, कन्या, हाथी, घोड़ा, सिंह, दर्पण, शंख और वाद्ययंत्र देखना, पकवान, मिठाई या पान खाना, मोतियों की माला पहनना, तेज तपता हुआ सूर्य देखना, पानी, दूध या शराब से भरा घड़ा देखना, मछली, घी या गोरोचन देखना।
* वेदमंत्र या मंगल गान सुनना, घोड़ी, भैंस, शेरनी, गाय या हथिनी का दूध दुहते देखना, अपना सिर कटते हुए देखना, पितर, गाय, ब्राह्मण या राजा को देखना।