वर्ष में दो बार नवरात्र रखने का विधान है। चैत्र मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से 9 दिन अर्थात नवमी तक और इसी प्रकार ठीक 6 मास बाद आश्विन मास, शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से विजयादशमी से एक दिन पूर्व तक माता की साधना और सिद्धि प्रारंभ होती है। दोनों नवरात्रों में शारदीय नवरात्रों को ज्यादा महत्व दिया जाता है।