इन बीज मंत्रों की प्रतिदिन देवी दिनों के अनुसार मंत्र जप से मनोरथ सिद्धि होती है।
देवीजप बीज मंत्र
1. शैलपुत्री: ह्रीं शिवायै नम:
2. ब्रह्मचारिणी: ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:
3. चन्द्रघंटा: ऐं श्रीं शक्तयै नम:
4. कूष्मांडाऐं ह्री देव्यै नम:
5. स्कंदमाता: ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:
6. कात्यायनी: क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:
7. कालरात्रि : क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:
8. महागौरी: श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:
9. सिद्धिदात्री : ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:
नवरात्र के अंतर्गत कुमारी पूजा को अति-आवश्यक माना गया है।
पहले दिन एक कन्या का पूजन करें, दूसरे दिन दो का, तीसरे दिन तीन का, तत्पश्चात प्रतिदिन एक-एक कन्या बढ़ाते जाएं व नौवें दिन 9 कन्याओं का पूजन करें।
पूजा विधि में 2 से 10 वर्ष की कन्याएं ही आमंत्रित की जानी चाहिए।
2 वर्ष की कन्या जिसे कुमारी कहा जाता है, के पूजन से धन, आयु व बल की वृद्धि होती है।
3 वर्षीय कन्या जिसे त्रिमूर्ति कहते हैं, के पूजन से अर्थ, काम, मोक्ष की सिद्धि होती है। इसी के साथ धन-धान्य की वृद्धि और पुत्र-पौत्रों की सुरक्षा होती है।
4 वर्षीय कन्या जो कल्याणी कहलाती है, के पूजन से विद्या, विजय और राज्य सुख निष्कंटक प्राप्त होता है।
5 वर्षीय कन्या जिसे रोहिणी कहा जाता है, के पूजन से रोगों का नाश होता है।