इसकी 11 माला नित्य नवरात्रि में करें। नवमी को हवन कर पश्चात नित्य 1 माला कार्य होने तक करें।
2. मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए 1 छोटा मंत्र भी कर सकते हैं। विधि उपरोक्त रहेगी। मंत्र यथा-
'एवं देव्या वरं लब्ध्वा सुरथ: क्षत्रियर्षभ:।'
3. पुराने रोग से निजात पाने के लिए-
'रोगान शेषान पहंसि तुष्टा रुष्टा,
तु कामान् सकलानभीष्टान।
व्वांमाश्रितानां न विपन्नराणां,
त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति।।'
4. शत्रुनाश के लिए-
'सर्वाबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याऽखिलेश्वरि,
एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वैरिविनाशनम्।।'
5. सर्वार्थ शांति के लिए-
'सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोस्तुते।।'
6. सर्व कार्यों की शुभता के लिए-
'शरणागत-दीनार्त-परित्राण-परायणे,
सर्वस्यार्तिहरे देवि। नारायणि। नमोस्तुते।।'
7. दु:ख-दारिद्रय नाश के लिए-
'दुर्गे स्मृता हरिस भीतिमशेष जन्तो:,
स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दारिद्रय दु:ख भयहारिणी का त्वदन्या,
सर्वोपकार करणाय सदाऽऽर्द्रचित्रा।।'
8. सभी बाधाएं दूर करने तथा धन-धान्यादि प्राप्ति के लिए-
'सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन-धान्य सुतान्वित:।
मनुष्यो मत् प्रसादेन भविष्यति न संशय:।।'
9. देवी कृपा प्राप्त करने हेतु-
'नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नम:।
नम: प्रकृत्यै भद्रायै नियता प्रणता स्मरताम्।।
10. बुद्धि प्राप्ति के लिए- 'ॐ ऐं नम:', समृद्धि के लिए 'ॐ ह्रीं नम:', शत्रुनाश के लिए 'ॐ क्लीं नम:' तथा लक्ष्मी प्राप्ति के लिए 'ॐ श्रीं नम:' लघु मंत्रों के जप किए जा सकते हैं।
जो व्यक्ति गायत्री मंत्र जपते हैं, वे विशेष कामना के लिए गायत्री मंत्र को संपुरित कर जप सकते हैं, जैसे धन के लिए 'श्रीं श्रीं श्रीं', शत्रु नाश के लिए 'क्लीं क्लीं क्लीं', ज्ञान प्राप्ति के लिए 'ऐं ऐं ऐं' आदि मंत्र को गायत्री मंत्र के आगे-पीछे लगाकर जप कर सकते हैं। अंत में हवन अनिवार्य है। संकल्प जरूर करें।