नवरात्रि में कैसे करें पूजन, क्या कहते हैं 10 नियम?

नवरात्रि के नौ दिनों तक देवी दुर्गा की पूजा-आराधना का विधान है। जानिए, नवरात्रि में कैसे करें पूजन, क्या कहते हैं 10 नियम?

1. आश्विन शुक्ल प्रतिपदा को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें।

2. घर के ही किसी पवित्र स्थान पर स्वच्छ मिट्टी से वेदी बनाएं।

3. वेदी में जौ और गेहूं दोनों को मिलाकर बोएं।

4. वेदी पर या समीप के ही पवित्र स्थान पर पृथ्वी का पूजन कर वहां सोने, चांदी, तांबे या मिट्टी का कलश स्थापित करें।

5. इसके बाद कलश में आम के हरे पत्ते, दूर्वा, पंचामृत डालकर उसके मुंह पर सूत्र बांधें। कलश स्थापना के बाद गणेश पूजन करें।

6. वेदी के किनारे पर देवी की किसी धातु, पाषाण, मिट्टी व चित्रमय मूर्ति को विधि-विधान से विराजमान करें।

7. तत्पश्चात मूर्ति का आसन, पाद्य, स्नान, वस्त्र, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, आचमन, पुष्पांजलि, नमस्कार, प्रार्थना आदि से पूजन करें।

8. दुर्गा सप्तशती का पाठ व दुर्गा स्तुति करें। पाठ-स्तुति के बाद दुर्गाजी की आरती कर प्रसाद वितरित करें।

9. कन्या भोजन कराएं फिर स्वयं फलाहार ग्रहण करें।
 

10. प्रतिपदा के दिन घर में ही ज्वारे बोने का भी विधान है। नवमी के दिन इन्हीं ज्वारों को, जिसमें बोए हैं, सिर पर रखकर किसी नदी या तालाब में विसर्जन करना चाहिए। अष्टमी तथा नवमी महातिथि मानी जाती हैं। इन दोनों दिनों पारायण के बाद हवन करें फिर यथाशक्ति कन्याओं को भोजन कराना चाहिए।

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