* इसके पश्चात दुर्गा सप्तशती का पाठ, दुर्गा स्तुति करें।
* पाठ स्तुति करने के बाद दुर्गाजी की आरती करके प्रसाद वितरित करें।
* इसके बाद कन्या भोजन कराएं। फिर स्वयं फलाहार ग्रहण करें।
प्रतिपदा के दिन घर में ही जवारे बोने का भी विधान है। नवमी के दिन इन्ही जवारों को सिर पर रखकर किसी नदी या तालाब में विसर्जन करना चाहिए। अष्टमी तथा नवमी महातिथि मानी जाती हैं।
इन दोनों दिनों में पारायण के बाद हवन करें फिर यथा शक्ति कन्याओं को भोजन कराना चाहिए।
नवरात्रि में क्या करें, क्या न करें
* इन दिनों व्रत रखने वाले को जमीन पर सोना चाहिए।
* ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
* व्रत करने वाले को फलाहार ही करना चाहिए।
* नारियल, नींबू, अनार, केला, मौसमी और कटहल आदि फल तथा अन्न का भोग लगाना चाहिए।
* व्रती को संकल्प लेना चाहिए कि हमेशा क्षमा, दया, उदारता का भाव रखेगा।
* इन दिनों व्रती को क्रोध, मोह, लोभ आदि दुष्प्रवृत्तियों का त्याग करना चाहिए।
* देवी का आह्वान, पूजन, विसर्जन, पाठ आदि सब प्रातःकाल में शुभ होते हैं, अतः इन्हें इसी दौरान पूरा करना चाहिए।
* यदि घटस्थापना करने के बाद सूतक हो जाएं, तो कोई दोष नहीं होता, लेकिन अगर पहले हो जाएं, तो पूजा आदि न करें।