टोक्यो। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि निराशा का माहौल खत्म हो गया और उन्होंने जापानी कारोबारियों को भारत के विकास की पहल में हाथ मिलाने के लिए आमंत्रित किया।
साथ ही उन्होंने बगैर भेदभाव के और तेजी से मंजूरी देने का वादा किया और जापानी कंपनियों को मदद करने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय के तहत विशेष प्रबंधन दल की स्थापना की घोषणा की।
यहां आयोजित जापान और भारत के शीर्ष उद्योगपतियों के सम्मेलन में मोदी ने रेलवे में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की नीति को उदार बनाने का जिक्र किया और कहा कि भारत में नियम और कानून बदले जा रहे हैं जिसका नतीजा निकट भविष्य में दिखेगा।
गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर राज्य का विकास सुनिश्चित करने के लिहाज से जापान में बेहद लोकप्रिय मोदी ने कहा कि भारत कौशल विकास को आगे बढ़ाने के मामले में अच्छी गुणवत्ता, खरापन (त्रुटिरहित सेवा, उत्पाद) और आपूर्ति प्रणाली के संबंध में जापान की नकल करना चाहता है।
उन्होंने जापान और भारत के बीच निकट और गहरे सहयोग की जरूरत पर बल दिया ताकि वैश्विक स्तर पर विस्तारवाद की बजाय विकासवाद के मुद्दे की हिमायत की जा सके।
उन्होंने कहा कि हमें फैसला करना है कि हम विकासवाद चाहते हैं या विस्तारवाद, जो विघटन की ओर जाता है। जो बुद्ध के मार्ग का अनुसरण करते हैं और विकासवाद पर भरोसा करते हैं, वे विकास करते हैं। लेकिन हम देख रहे हैं, जो 18वीं सदी का विचार रखते हैं वे अतिक्रमण करते हैं और (दूसरे के) समंदर में प्रवेश करते हैं।
उनकी इस टिप्पणी को चीन पर निशाना साधने के तौर पर देखा जा सकता है, जो दक्षिण चीन सागर के मामले में कुछ पड़ोसी देशों के साथ संघर्षरत है। (भाषा)