आडवाणी की सीट पर 'भीतरघात' की जांच

शनिवार, 26 अप्रैल 2014 (12:14 IST)
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गांधीनगर। भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी के निर्वाचन क्षेत्र गांधीनगर में इस बार वे मोदी लहर से अधिक राजनीतिक परिस्थितियों के चलते आश्वस्त दिख रहे हैं।

अलबत्ता चुनावी विश्लेषकों की रुचि इस बार भीतरघात और जीत के अंतर के घटने-बढ़ने जैसी बातों में अधिक नजर आ रही है। गांधीनगर समेत गुजरात की सभी 26 सीटों पर 30 अप्रैल को एक साथ मतदान होगा।

ऐसा माना जा रहा है कि 1991, 1998, 1999, 2004 और 2009 में 5 बार गांधीनगर से जीत चुके आडवाणी को उनकी तुलना में कमजोर आंके जा रहे कांग्रेस प्रत्याशी किरीट पटेल से उतना खतरा नहीं है जितना पार्टी के अंदरखाने की जोड़-तोड़ से है।

पिछले चुनाव में खुद प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़कर कांग्रेस के तत्कालीन प्रत्याशी सुरेश पटेल को लगभग 1 लाख मतों से हराने वाले आडवाणी के लिए इस बार परिस्थितियां काफी अलग हैं।

भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी की ताजपोशी के प्रति खुली नाराजगी जताने तथा अंतिम क्षण तक गांधीनगर के बजाय भोपाल से चुनाव लड़ने की इच्छा जताने जैसी बातें उनके खिलाफ जाती हैं लेकिन कुल मिलाकर इस सीट पर परिस्थितियां उनकी छठी जीत के काफी अनुकूल हैं।

विश्लेषकों का मानना है कि मोदी समर्थकों के कथित अंदरुनी विरोध के बावजूद उनका खेमा भी किसी भी कीमत पर आडवाणी की जीत जरूर चाहेगा, क्योंकि मोदी के गृहप्रदेश के राजधानी को समेटने वाली यह सीट उनकी प्रतिष्ठा से भी जुड़ी हुई है।

लंबे समय से भाजपा का निर्विवाद गढ़ रहे लगभग 16 लाख 85 हजार मतदाताओं वाले गांधीनगर संसदीय सीट की 7 विधानसभा सीटों में से 5 (वेजलपुर, घाटलोडिया, नाराणपुरा, गांधीनगर दक्षिण और गांधीनगर उत्तर) पर फिलहाल भाजपा का और मात्र 2 (कलोल और साणंद) पर कांग्रेस का कब्जा है।

मोदी के दो कट्टर समर्थकों उत्तरप्रदेश के प्रभारी अमित शाह का क्षेत्र नाराणपुरा और राजस्व मंत्री आनंदीबेन पटेल का क्षेत्र घाटलोडिया भी गांधीनगर में ही है।

इस क्षेत्र में मोदी लहर के असर को महसूस किया जा सकता है, पर कुछ भाजपाइयों में असमंजस का भाव भी है, पर वे खुले में इसे जता नहीं रहे। हालांकि इस सीट पर पार्टी के चुनाव प्रचार के दौरान मोदी और आडवाणी के बीच की कड़वाहट की बात को कम करने के भरपूर प्रयास हुए हैं।

मोदी ने कलोल की एक हालिया सभा में आडवाणी को 'पितातुल्य' कहकर मतदाताओं से उन्हें जीत दिलाने की अपील की तो आडवाणी ने भी नामांकन के पहले की सभा में मोदी की जमकर तारीफ की। इसके बाद के मौकों पर भी वे मोदी लहर और मोदी के प्रधानमंत्री बनने की बात दोहराते रहे हैं।

अपने क्षेत्र में अब तक कुछ रोड शो कर चुके आडवाणी के देशभर में प्रचार के चलते व्यस्त रहने के कारण उनके प्रचार की कमान उनके पुत्र जयंत और पुत्री प्रतिभा ने संयुक्त रूप से संभाल रखी है। उधर मोदी खेमे की मंत्री आनंदीबेन पटेल को भाजपा ने इस सीट का प्रभारी बनाया है। (वार्ता)

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