नहीं चल पाया कश्मीर में गठबंधन का जादू

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कश्मीर में गठबंधन का जादू नहीं चल पाया है। कश्मीर में भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है। कांग्रेस के साथ गठजोड़ करने का खामियाजा नेशनल कांफ्रेंस को भी भुगतना पड़ा है जिसके तीनों उम्मीदवार हार गए हैं। उन्हें पीडीपी ने चित किया है, तो कांग्रेस के दोनों प्रत्याशियों को भाजपा उम्मीदवारों ने हराकर उसका सूपड़ा साफ कर दिया।

राज्य में बहुत कुछ पहली बार हुआ है। भाजपा ने तीन सीटों पर कब्जा जमाया पहली बार। पीडीपी तीन सीटों पर विजयी हुई पहली बार। कांग्रेस का कोई उम्मीदवार नहीं जीत पाया पहली बार। और यह भी पहली बार होगा कि लोकसभा में नेकां का कोई उम्मीदवार नहीं पहुंचा है, वर्ष 1996 के चुनावों को छोड़कर जब उसने लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा था और 1991 में राज्य में लोकसभा चुनाव नहीं हुए थे।

सबसे बुरी हार का सामना सत्ताधारी नेशनल कांफ्रेंस को करना पड़ा है। हालांकि अब चाहे मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला यह कहते फिर रहे हैं कि अफजल गुरु की फांसी और वर्ष 2010 के दौरान मारे गए मासूम कश्मीरियों के कारण उनकी पार्टी को इतनी बुरी हार देखनी पड़ी है, पर सच्चाई यही है कि कांग्रेस और नेकां को सही मायनों में गठबंधन के कारण ही नुकसान उठाना पड़ा है।

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यही कारण था कि 1980 में श्रीनगर संसदीय क्षेत्र से निर्विरोध चुनाव जीतने वाले नेकां के अध्यक्ष, पूर्व मुख्यमंत्री और श्रीनगर से वर्तमान सांसद डॉक्‍टर फारुक अब्दुल्ला उस श्रीनगर संसदीय क्षेत्र से हैट्रिक नहीं बना पाए जहां से उनके बेटे उमर अब्दुल्ला ने 1998 से लेकर 2004 तक तीन बार चुनाव जीत कर यह साबित कर दिया गया था कि श्रीनगर संसदीय क्षेत्र नेकां की बपौती है।

पर अबकी बार ऐसा नहीं हुआ क्योंकि पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने जो जनभावनाएं कश्मीरियों की भुनाईं उसे वह वोटों में तब्दील करने में कामयाब रही है। तभी तो पीडीपी के तारिक अहमद कारा ने नेकां की तोप समझे जाने वाले डॉक्‍टर फारुक अब्दुल्ला को 41913 से अधिक मतों से हरा दिया।

कश्मीर की दूसरी चर्चित संसदीय सीट बारामुल्ला से भी नेकां हार गई है। नेशनल कांफ्रेंस के शरीफुद्दीन शरीक भी दूसरी बार जीत हासिल नहीं कर पाए। पीडीपी के मुज्जफर हुसैन बेग ने उन्हें 29214 मतों से हराकर यह जतला दिया कि नेशनल कांफ्रेंस जिन संसदीय सीटों को अपनी बपौती समझती रही है वहां की जनता ने ही उन्हें ठुकरा दिया है।

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बारामुल्ला संसदीय क्षेत्र में अब तक हुए 11 संसदीय चुनावों में नेकां ने 9 बार कब्जा किया था, हालांकि यह सीट इसलिए भी चर्चा में थी क्योंकि इस सीट से कई अलगाववादी नेता चुनाव मैदान में थे। यह बात अलग है कि कश्मीरियों ने अलगाववादियों को भी नकार दिया है। इसी संसदीय क्षेत्र से पीडीपी को 2004 के चुनावों में भी हार का सामना करना पड़ा था जब उसके निजामुद्दीन बट चुनाव हार गए थे।

पीडीपी के लिए सबसे बड़ी खुशी अगर कश्मीर की तीनों सीटों पर जीत हासिल करने की है तो ऐसी ही खुशी भाजपा को भी है। हालांकि उधमपुर और जम्मू की सीटों पर वह पहले भी कब्जा जमा चुकी थी लेकिन इस बार पहली बार उसने लद्दाख की सीट पर भी कब्जा जमा लिया। दूसरे शब्दों में कहा जाए कि नमो लहर बर्फीले रेगिस्तान तक भी पहुंची है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।

पीडीपी की सबसे बड़ी खुशी अनंतनाग के गढ़ को बचाने की है जहां से पार्टी अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती ने महबूब को घातक 65 हजार मतों से हराने का जख्म दिया है। पिछले चुनावों में महबूबा मुफ्ती इसी संसदीय क्षेत्र से नेकां के महबूब बेग से हार गई थीं जबकि उससे पहले के चुनावों में महबूब बेग को महबूबा ने हरा दिया था। इस संसदीय क्षेत्र के बारे में लोग कहते रहे हैं कि यहां महबूब और महबूबा का खेल है, कभी महबूबा जीत जाती हैं तो कभी महबूब।

सबसे बुरी हार कांग्रेस उम्मीदवारों की हुई है। जम्मू संसदीय क्षेत्र में अगर भाजपा के जुगल किशोर शर्मा ने कांग्रेस के दो बार सांसद रहे मदन लाल शर्मा को 2.55 लाख मतों से हरा दिया तो उधमपुर संसदीय क्षेत्र में पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद को पहली बार चुनाव लड़ रहे भाजपा के डॉक्‍टर जितेंद्र सिंह के हाथों हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने आजाद को 55259 मतों से हरा दिया।

बड़ी रोचक बात गुलाम नबी आजाद के प्रति यह थी कि उन्होंने पहली बार राज्य से संसदीय चुनाव लड़ा था और हार गए और जब उन्होंने पहली बार विधानसभा चुनाव राज्य से लड़ा था तो भी हार गए थे। याद रहे जम्मू संसदीय क्षेत्र से भारी मतों से जीत हासिल करने वाले जुगल किशोर शर्मा भी पहली बार लोकसभा के लिए मैदान में कूदे थे।

सबसे रोचक मुकाबला लद्दाख के संसदीय क्षेत्र का रहा है जहां से पहली बार भाजपा ने जीत हासिल की है। भाजपा के उम्मीवार थुप्स्टन छेवांग ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी आजाद उम्मीदवार गुलाम राजा को मात्र 36 वोटों के अंतर से हरा दिया है। याद रहे अबकी बार भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतने वाले थुप्स्टन छेवांग 2004 में आजाद उम्मीदवार के तौर पर सांसद बन चुके हैं और 1999 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव हार भी चुके हैं।

जम्मू कश्मीर लोकसभा चुनाव परिणाम

अनंतनाग - महबूबा मुफ्ती (पीडीपी) विजयी, महबूब बेग (नेकां) पराजित
उधमपुर - डॉ. जितेंद्र सिंह (भाजपा) विजयी, गुलाम नबी आजाद (कांग्रेस) पराजित
जम्मू -जुगल किशोर शर्मा (भाजपा) विजयी, मदन लाल शर्मा (कांग्रेस) पराजित
बारामुल्ला -मुज्जफर हुसैन बेग (पीडीपी) विजयी, शरीफउद्दीन शारिक (नेकां) पराजित
लद्दाख- थुप्स्टन छेवांग (भाजपा) विजयी, गुलाम राजा (स्वतंत्र उम्मीदवार) पराजित
श्रीनगर- तारिक हमीद कारा (पीडीपी) विजयी-डॉ. फारुक अब्दुल्ला (नेकां) पराजित

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