धरती के लाल हुए निहाल

शनिवार, 1 मार्च 2008 (16:48 IST)
किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए आखिरकार सरकार का रवैया उदार हो ही गया। पिछले कुछ वर्षों में विदर्भ समेत देश के कई हिस्सों में कर्ज से दुखी किसानों द्वारा आत्महत्या के कई मामले सामने आए थे। इस कारण कृषि क्षेत्र सरकार के लिए सबसे ज्यादा चिंता का विषय बनता जा रहा था। किसानों का कर्ज माफ कर सरकार ने किसानों खासकर छोटे और मझौले किसानों को बड़ी राहत दी है।

सरकार के इस फैसले से धरती के लाल निहाल हो गए हैं। हालाँकि वर्ष 2007-08 में रिकॉर्ड कृषि उत्पादन रहने के बावजूद कृषि विकास की दर 2.6 फीसदी रहने के कारण इस क्षेत्र में कुछ निराशा रही।

अनाज पैदावार को बढ़ावा
सरकार ने कहा है कि कृषि क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर होना जरूरी है। कृषि क्षेत्र में निराशा हाथ लगी है। 2007-08 की पहली छमाही में अच्छी शुरुआत के बावजूद कृषि में संपूर्ण वर्ष की विकास दर केवल 2.6 प्रतिशत ही रहने का अनुमान है। हालाँकि 2007-08 में अनाज का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है। इस वर्ष कृषि क्षेत्र का कुल उत्पादन 2193.02 लाख टन रहा। वर्ष 2008-09 में इसे दोगुने से ज्यादा करने का लक्ष्य रखा गया है। वर्ष 2007-08 में सोयाबीन का उत्पादन 94.5 लाख टन, मक्के का उत्पादन 167.8 लाख टन, चावल का उत्पादन 940.8 लाख टन हुआ है।

ऋण बढ़ाने का लक्ष्य
कृषि ऋणों के लिए वर्ष 2008-09 में 2 लाख 80 हजार करोड़ का लक्ष्य रखा गया है। ये ऋण अल्पावधि फसल, ऋणों सहित 7 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर पर बाँटे जाएँगे। 2008-09 में ब्याज सहायता के लिए 1600 करोड़ का प्रावधान किया जाएगा।

बागवानी फसले
पुनःरोपण और नवीनीकरण के लिए गठित विशेष प्रयोजन चाय निधि को 2008-09 में 40 करोड़ ुपए उपलब्ध कराए जाएँगे। चाय, रबर, तंबाकू, मिर्च, अदरक, हल्दी, काली मिर्च और इलायची के लिए फसल बीमा योजना शुरू की जाएगी। हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय पौध संरक्षण प्रशिक्षण संस्थान को राष्ट्रीय स्वस्थ पादप प्रबंधन संस्थान में बदला जाएगा और उसका विकास किया जाएगा।

सहकारी बैंकों का पुनरुद्घा
सहकारी बैंकों की हालत सुधारने के लिए सरकार ने बैद्यनाथन कमेटी की सिफारिशों को लागू करने की घोषणा की है। वित्त मंत्री के अनुसार आर. राधाकृष्ण कमेटी कृषि ऋण पर रिपोर्ट जारी कर दी गई है। अब तक सरकार चार राज्यों के लिए 1185 करोड़ ヒपए जारी कर चुकी है। केंद्र सरकार और राज्य सरकारें लंबी अवधि के सहकारी ऋण ढाँचे को बदलेगी।

ताकि सुरक्षित रहे खेती
खेती-किसानी में अक्सर प्राकृतिक आपदाओं का अंदेशा बना रहता है। ऐसे में किसानों की मेहनत को पूरी सुरक्षा प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना में सरकार ने 644 करोड़ ヒपए का प्रावधान किया गया है। पाँच राज्यों के चुनिंदा क्षेत्रों में प्रायोगिक योजना के रूप में कार्यान्वित मौसम आधारित फसल बीमा योजना को जारी रखा जाएगा। वर्ष 2008-09 में इसके लिए 50 करोड़ रुपए प्रदान किए गए हैं।

निवेश
कृषि क्षेत्र में सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात के रूप में समग्र पूँजी निर्माण (जीसीएफ) 2003-04 में 10.2 प्रतिशत के निम्न स्तर से सुधरकर 2006-07 में 12.5 फीसदी हो गया। 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान चार प्रतिशत के वृद्घि दर लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उसे 16 प्रतिशत किया जाएगा।

सिंचाई पर बरसा ध
खेती को बढ़ावा देने के लिए सबसे जरूरी है सिंचाई प्रबंधन पर जोर दिया जाना। बजट में सिंचाई के लिए 20 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है, जिनमें से पाँच हजार करोड़ रुपए अनुदान के तौर पर दिए जाएँगे। जलछत योजना के तहत नहीं आने वाले इलाकों में ड्रिप और स्प्रिंगल सिंचाई व्यवस्था करने की घोषणा की गई है। वहीं राष्ट्रीय फसल बीमा योजना जारी रखने की घोषणा भी की गई है।

* सिंचाई परियोजनाओं के विस्तार के लिए सरकार ने बजट में अनेक प्रावधान किए हैं। वर्ष 2007-08 में सिंचाई परियोजनाओं के लिए सरकार ने जहाँ 11 हजार करोड़ रुपए दिए थे, वहीं 2008-09 में इसके लिए 20 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इसमें 5500 करोड़ रुपए का अनुदान भी शामिल है।
* सिंचाई परियोजनओं के सफल संचालन के लिए सिंचाई फाइनेंस आयोग का गठन किया गया है। इसके लिए बजट में 100 करोड़ रुपए दिए गए हैं।
* बजट में लघु सिंचाई परियोजनाओं के लिए 500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इससे चार लाख हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की अतिरिक्त व्यवस्था की जा सकेगी।
* त्वरित सिंचाई सुविधा कार्यक्रम में 24 बड़ी और मध्यम सिंचाई परियोजनाएँ तथा 753 छोटी सिंचाई योजनाएँ 2007-08 में पूरी की जाएँगी, जो पाँच लाख हैक्टेयर क्षेत्र की अतिरिक्त सिंचाई क्षमता पैदा करेगी।
* वर्षा आधारित क्षेत्र विकास कार्यक्रम के लिए 348 करोड़ रुपए का आवंटन किया जाएगा। ऐसे क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाएगी जो अभी तक जल संभरण विकास योजनाओं से वंचित रहे हैं।
* पानी के स्रोतों की मरम्मत, पुनरुद्घार और बहाली की परियोजनाओं के अंतर्गत तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश की सरकारों ने विश्व बैंक के साथ 738 मिलियन अमेरिकी डॉलर के समझौते किए। इसी प्रकार के समझौते उड़ीसा, पश्चिम बंगाल तथा कुछ अन्य राज्यों के साथ किए जाएँगे।

मृदा परीक्षण लै
11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान 500 मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएँ स्थापित की जाएँगी। कृषि मंत्रालय को इसके लिए 75 करोड़ रुपए उपलब्ध कराए जाएँगे। इस राशि से देश के 250 जिलों में एक-एक पूर्णतया सज्जित चलती-फिरती मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं की व्यवस्था की जाएगी।

खाद के लिए सबसिडी
सरकार किसानों को सबसिडीयुक्त कीमतों पर खाद उपलब्ध करवाती रहेगी। पोषक आधारित सबसिडी व्यवस्था और सबसिडी देने के वैकल्पिक तरीके अपनाने के प्रस्तावों की जाँच की जा रही है।

कृषक नीति
पिछले बजट के बाद से सरकार ने राष्ट्रीय कृषक नीति तैयार की है और घोषित की है। इसके अतिरिक्त सरकार ने 25 हजार करोड़ रुपए के परिव्यय से राष्ट्रीय कृषि विकास योजना और 4882 करोड़ रुपए के परिव्यय से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन की शुरुआत की है। दोनों योजनाएँ 11वीं पंचवर्षीय योजना अवधि के दौरान कार्यान्वित की जाएँगी।

न सत्यम्‌, न शिवम्‌, न सुंदरम्‌

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