प्रतिद्वंद्विता में उतरेंगी भारतीय इंटरनेट कंपनियाँ

सोमवार, 4 फ़रवरी 2008 (14:25 IST)
जहाँ अग्रणी आईटी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने गूगल की प्रतिद्वंदिता में याहू को 44.6 बिलियन डॉलर्स में अधग्रहित करने का प्रस्ताव रखा है, वहीं भारतीय इंटरनेट सेवाओं ने माना कि वह इस चुनौती के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।

यह अनुबंध ऑनलाइन एडवरटाइजिंग बाजार में एक क्रांतिकारी प्रयास साबित होगा जो 2010 तक इस क्षेत्र का विकास 40 बिलियन से बढ़ाकर 80 बिलियन तक पहुँचा देगा। इंटरनेट सर्च के साथ-साथ वर्तमान में गूगल भारत समेत पूरे विश्व में अधिक रेवेन्यू वाले प्रचार बाजार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

नौ भारतीय भाषाओं के सर्च इंजन वाले बहुभाषीय पोर्टल वेबदुनिया.कॉम के सीओओ पंकज जैन ने बताया कि नए उत्पादों व एग्रेसिव मार्केटिंग के क्षेत्र में माइक्रोसॉफ्ट अग्रणी नेता के रूप में जाना जाता है, पक सर्च सुविधा के क्षेत्र में सब जानते हैं कि माइक्रोसॉफ्ट काफी पीछे है। उनकी खुद की प्रॉपर्टी बहुत बेहतर नहीं है।

उन्होंने यह भी कहा कि माइक्रोसॉफ्ट के पास याहू का अधिग्रहण करने के सिवा कोई विकल्प नहीं है। माइक्रोसॉफ्ट व याहू का यह अधिग्रहण गूगल के लिए एक चुनौती साबित हो सकता है।

अमेरिका में सूचीबद्ध भारतीय इंटरनेट सेवा 'सिफी' के चीफ कम्युनिकेशन ऑफिसर डेविड अप्पास्वामी ने बताया कि भारतीय ऑनलाइन एडवरटाइजिंग बाजार अभी अपरिपक्व चरण में है, जहाँ पर हर खिलाड़ी के लिए बहुत सारी संभावनाएँ हैं।

उन्होंने कहा कि सिफी 'खोज' जैसी अपनी सेवाओं के लिए गूगल के साथ अनुबंधित है, जिस पर इस तरह के किसी भी अनुबंध का कोई प्रभाव नहीं पड़ सकता है। समस्त सर्च मार्केट में गूगल 85 प्रतिशत शेयर रखता है जबकि बचे हुए शेयर याहू, रेडिफ व अन्य सेवाओं के पास हैं।

वहीं रेडिफ.कॉम के उपाध्यक्ष मनीष अग्रवाल ने माना कि वर्ल्डवाइड मार्केट के नजरिए से देखें तो माइक्रोसॉफ्ट को इस करार से काफी लाभ होगा। वहीं इस अनुबंध द्वारा इन क्षेत्र में नौकरियों में फेरबदल होने की संभावना को लेकर उन्होंने माना कि इस करार से केवल अमेरिका में ही इस तरह का परिवर्तन होना चाहिए। इसका भारतीय बाजार पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ सकता है।

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