कान फिल्म फेस्टिवल में अनसर्टेन रिगार्ड सेक्शन में भारत की 2 फिल्में दिखाई जाएंगी। डायरेक्टर गुरविंदर सिंह की 'चौथी कूट' जो ऑपरेशन ब्लू स्टार के समय की कहानी है।
दूसरी फिल्म है नीरज घयवान की 'मसान' जो वाराणसी के घाटों और वहां के लोगों की कहानी है। चौथी कूट को 3 और मसान को 2 स्क्रीनिंग मिली हैं।
लगातार भारतीय फिल्मों की मौजूदगी से लोगों का ध्यान बॉलीवुड से हटकर असल भारतीय सिनेमा पर आने लगा है और यह बहुत अच्छे संकेत हैं।
इसके अलावा कई शॉर्ट फिल्में हैं जो यहां शॉर्ट फिल्म कॉर्नर में मौजूद है जिनमें नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी के भाई शम्स सिद्दीक़ी की फिल्म 'मियाँ कल आना' भी मौजूद है।
इतना ही नहीं मार्केट में खरीदारों को दिखाने के लिए बॉम्बे वेलवेट, पीकू, मर्दानी, ब्योमकेश बक्शी, और दम लगा के हईशा तक मौजूद हैं।
अगर कोई सिर्फ हिन्दी फिल्म ही देखना चाहे तो इतना तो मौजूद है कि दिन में एक हिन्दी फिल्म देखी जा सकती है लेकिन मुश्किल बस यही है कि ज्यादातर फिल्में मार्केट सेक्शन में हैं और उनका कहना है कि जब प्रेस स्क्रीनिंग होती है तो मार्केट के लोगों को तो आसपास फटकने भी नहीं दिया जाता तो हम क्यों प्रेस को फिल्म दिखाएं।