रेखा मैत्र - जन्म बनारस में। सागर विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में एमए किया। मुंबई विश्वविद्यालय से टीचर्स ट्रेनिंग में डिप्लोमा। केंद्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा से हिन्दी सिखाने का विशेष प्रशिक्षण लिया।
कुछ समय तक मध्यप्रदेश में आयोजित ' अमेरिकी पीस कोर' के प्रशिक्षण कार्यक्रम में अमेरिकी स्वयंसेवकों को हिन्दी भाषा का प्रशिक्षण दिया। कुछ सालों तक मुंबई में राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार की हिन्दी शिक्षण योजना के जरिए सरकारी कर्मचारियों को हिन्दी का प्रशिक्षण दिया।
अमेरिका में बसने के बाद गवर्नेस स्टेट यूनिवर्सिटी से ट्रेनिंग कोर्स किए और अध्ययन कार्य किया। कुछ समय तक मलेशिया भी रहीं और यहीं से कविता-लेखन गंभीरता से शुरू हुआ। फिलहाल अमेरिका में हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार से जुड़ी साहित्यिक संस्था 'उन्मेष' के साथ सक्रियता से जुड़ी हैं और लिखने-पढ़ने में व्यस्त हैं।
प्रकाशित कविता संग्रह : पलों की परछाइयाँ, मन की गली, उस पार, रिश्तों की पगडंडियाँ, मुट्ठी भर धूप, बेशर्म के फूल। अधिकांश कविताएँ बांग्ला और अँगरेजी में अनुवादित तथा अमेरिका के हिन्दी कवियों की प्रकाशित पुस्तक 'मेरा दावा है' और 'प्रवासिनी के बोल' में भी रचनाएँ सम्मिलित।