भारतीय जोड़े की दोषसिद्धि बरकरार

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न्यूयार्क में वर्ष 2007 में दो इंडोनेशियाई नौकरानियों से गुलामों की तरह सलूक करने के दोषी ठहराए गए जोड़े की दोषसिद्धी एक संघीय अदालत ने बरकरार रखी है।

मैनहट्टन की अदालत ने कहा ‘सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद हमने बचाव पक्ष की दलीलों को पुख्ता नहीं पाया।’ भारतीय मूल के महेंद्र सभनानी और इंडोनेशियाई मूल की वर्षा सभनानी ने सुनवाई की विभिन्न प्रक्रियाओं को अदालत में चुनौती दी थी।

अमेरिका की नागरिकता ले चुके महेंद्र (53) और उनकी पत्नी न्यूयॉर्क के साइसोसेट में अपने चार बच्चों के साथ रहते हैं। अदालत ने कहा ‘सभनानी दंपत्ति ने अपने मकान में दो विदेशियों को रखा जो अमेरिका में गैरकानूनी है। इसके बाद सभनानी दंपत्ति ने दोनों इंडोनेशियाई महिलाओं के दस्तावेज रख लिए और उन्हें नौकर का काम करने के लिए मजबूर किया।’ इस मामले में महेंद्र को 40 माह की और उसकी पत्नी इंडोनेशियाई महिला समीरा (53) ने सभनानी दंपत्ति के घर फरवरी 2002 से मई 2007 तक काम किया था।

हालाँकि उसके वीजा की अवधि 2002 में समाप्त हो गई थी। सभनानी दंपत्ति ने उसे 200 डॉलर देने का वादा किया गया था लेकिन इंडोनेशिया में उसकी बेटी को केवल 100 डॉलर दिए गए और समीरा को कोई राशि नहीं दी गई। अदालत के दस्तावेजों के अनुसार, समीरा को पर्याप्त भोजन नहीं दिया जाता था और कई बार वह फेंका हुआ भोजन करती थी। हर दिन उससे इतना काम लिया जाता था कि कई बार वह सो भी नहीं पाती थी।

एक दिन समीरा को दूध पीते देख कर वर्षा ने उसे पीटा और उसके हाथ पर गर्म पानी डाल दिया था। दूसरी नौकरानी इंडोनेशिया की 47 वर्षीय नुंग थी जिसने सभनानी के घर पर 2005 से काम शुरू किया था। उसे भी समीरा की तरह ही परेशान किया जाता था।
दोनों महिलाओं को वर्षा की माँ ने काम पर रखा था। उन्हें अंग्रेजी नहीं आती थी और अमेरिका आने पर दोनों के पासपोर्ट ले लिए गए थे। (भाषा)

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