लास वेगास पीडि़तों की भारतीय अमेरिकी डॉक्टरों ने सेवा की
शुक्रवार, 6 अक्टूबर 2017 (14:53 IST)
लास वेगास। लास वेगास के मृत, अद्घमृत और गंभीर लोगों की सेवा में भारतीय मूल के अमेरिकी डॉक्टरों ने अपना बहुत योगदान किया है। इतना ही नही, इन लोगों ने पीडि़तों के इलाज, राहत उपायों और अन्य कार्यों में भी हाथ बंटाया।
भारतीय अमेरिकी डॉक्टर उपिंदर सिंह को लास वेगास मेट्रोपॉलिटन पुलिस डिपार्टमेंट ने थामस और मैक स्टेडियम में राहत कार्यों का समायोजन के लिए बुलाया था, जहां भागकर बड़ी संख्या में लोगों ने भयंकर हथियारबंद विक्षिप्त स्टीफन पैडॉक की गोलीबारी से बचने के लिए शरण ली थी। सिंह ने इंडिया-वेस्ट से कहा कि वहां बड़ी संख्या में लोग थे जोकि गहरे मानसिक आघात और पूरी तरह से सदमे में थे।
इस अवसर पर रीता वासवानी, अध्यक्ष, लास वेगास इंडिया चैम्बर ऑफ कॉमर्स से जुड़े अध्यक्ष और नेवादा के राज्य के संघ की प्रमुख बारबरा सेगावस्काई को भी राहत, बचाव कामों में लगा देखा गया। सेगावस्काई राज्य में आपातकाल घोषित किया गया और नेवादा में अन्य राज्यों से डॉक्टरों को अस्थायी तौर पर बुलाया गया। इनमें ऐसे डॉक्टर भी शामिल थे जिनके पास नेवादा में इलाज करने का लाइसेंस भी नहीं था।
उपिंदर सिंह को एक अक्टूबर की देर रात को एक कॉल मिली जोकि उनके एक मित्र की लास वेगास, नेवादा की थी और मेट्रोपॉलिटन पुलिस स्टेशन ने उन्हें थॉमस और मैक स्टेडियम में मदद करने को बुलाया गया था। स्टेडियम की क्षमता बीस हजार लोगों की थी और यह पूरी तरह से भरा था।
जराचिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. सिंह ने थोड़े से लेकर अधिक घायलों को तुरंत राहत दिलाई और लोगों को उनके मित्रों, परिजनों से मिलाने में भी मदद की। भारतीय मूल के नेवादा के डॉक्टरों ने 22 अक्टूबर और 29 अक्टूबर को रक्तदान शिविर लगाने की घोषणा की है। फिलहाल बहुत बड़ी मात्रा में रक्त इकट्ठा हो गया है लेकिन जो लोग गंभीर रूप से घायल हैं और जिनके दो या तीन ऑपरेशन होने हैं, उनके लिए यह रक्त बहुत काम आएगा।
एक और डॉ. विश्वेश्वर रंगा एक अक्टूबर की देर रात को लेट नाइट फ्लाइट से अटलांटा, जॉर्जिया से लॉस वेगास पहुंचे। सुबह उठते ही वे सनराइज अस्पताल पहुंचे। उनके सामने 140 घायल मरीज थे और अस्पताल में आईसीयू में केवल 40 बिस्तर ही थे। ज्योंही कोई स्थान खाली होता, वह तुरंत भर जाता।
उन्होंने बताया कि उनके अस्पताल आने से पहले ही 14 मौतें हो चुकी थीं। उन्होंने ऐसे घायलों को देखा जिनका दिमाग बाहर आ गया, आंखें अपनी सॉकेट्स से बाहर आ चुकी थीं। बहुत से ऐसे थे जिनकी आंतें बाहर आ गई थीं। उनका कहना था कि पैडॉक ने जिस तरह की गोलियां इस्तेमाल की थीं, उनका शरीर पर लगने के बाद प्रभाव क्षेत्र बहुत ज्यादा बड़ा था।
रंगा का कहना था कि जिन लोगों को दिमाग या छाती में गोलियां लगी थीं, उनके बचने की बहुत कम संभावना थी। ज्यादातर पीडि़त ऐसे थे जिनके कई ऑपरेशन होने थे और जिनका पुनर्वास होने में महीनों लगना है। उन्होंने स्थानीय डॉक्टरों की मदद से भी रक्तदान शिविर चलाया क्योंकि गोलियों से घायलों का खून अधिक बहता है। नेवादा एसोशिएशन ऑफ फिजीशियंस ऑफ इंडियन ओरिजन, धवल शाह टी मोबाइल स्टेडियम पर हॉकी खेल रहे थे और उन्हें पैडॉक के मांडले बे होटल पहुंचने में कुछेक मिनट लगे थे। वे संक्रामक बीमारियों के विशेषज्ञ हैं और उनका कहना था कि ऐसी घटनाओं के लिए लास वेगास पहले से ही बदनाम रहा है लेकिन किसी ने भी इतनी भीषण वारदात की उम्मीद नहीं की थी।
शाह का संगठन पीडितों के लिए राहत राशि का भी इंतजाम कर रहा है। इसी तरह लास वेगास इंडियन चैम्बर ऑफ कॉमर्स की प्रमुख रीता वासवानी का कहना है कि उनका संगठन भी पीडि़तों के परिवारों के लिए राहत फंड जुटा रहा है ताकि उनकी पैसों संबंधी जरूरतों को जल्द से जल्द निपटाया जा सके।