आयरलैंड के एरन द्वीप से दक्षिण बोस्टन में आकर बसे एक आयरिश माता-पिता की 12 संतानों में से एक जेम्स ब्रैंडन कोनोली को ओलिम्पिक खेलों का पहला चैम्पियन माना जाता है। 1868 में कोनोली का जन्म हुआ था और एथेंस में पहले ओलिम्पिक खेलों का आयोजन हुआ था अप्रैल 1896 में।
पारिवारिक स्थिति अच्छी नहीं थी अतः आठवीं के बाद कोनोली स्वयं स्वाध्याय से पढ़ते रहे। चूंकि पढ़ाई में कोनोली की रुचि थी। वे हॉवर्ड विश्वविद्यालय पहुंचे और बाद में एथलेटिक्स से जुड़ गए।
कोनोली तिहरी कूद में राष्ट्रीय चैंपियन भी बने। पता चला कि ओलिम्पिक होने वाला है तो उन्होंने विश्वविद्यालय से छुट्टी चाही, लेकिन नहीं मिली। उन्होंने विश्वविद्यालय छोड़ दिया और चल दिए ओलिम्पिक में भाग लेने। राह में पर्स चोरी हो गया। ऐसे में ट्रेन चल दी तो कोनोली उछलकर अंतिम डिब्बे में सवार हो गए और चल दिए एथेंस।
6 अप्रैल 1896 का दिन उस समय तिहरी कूद हॉफ, स्टेप जम्प के रूप में होती थी। सही क्रम है हॉफ, स्टेप व जम्प। कोनोली तिहरी कूद में 13.71 मी.कूदे। एथेंस के स्टेडियम में बैंड पर अमेरिका की राष्ट्रीय धुन बज रही थी, 200 फुट ऊंचे खम्भे पर अमेरिका का राष्ट्रीय ध्वज फहराया जा रहा था तथा स्टेडियम 50 हजार दर्शकों की तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज रहा था।
कारण आधुनिक ओलिम्पिक के पहले चैंपियन तिहरी कूद विजेता कोनोली को जैतून की पत्तियों का मुकुट पहनाया जा रहा था। इसी ओलिम्पिक में कोनोली ने 1.65 मी. ऊंचा जाकर हाई जम्प का रजत और 6.11 मी. छलाँग लगाकर लांग जम्प का कांस्य भी पदक प्राप्त किया था।
पेरिस ओलिम्पिक 1990 में कोनोली 13.97 मी. तक पहुंचे थे। स्वर्ण पदक अमेरिका के ही मायर प्रिस्टीन (14.47 मी.) ले गए थे। कोनोली एथेंस की सफलता के बाद से ही विभिन्न एथलेटिक्स में भाग ले रहे थे और 1897 में वे तिहरी कूद का विश्व कीर्तिमान (15 मी.) भी बना चुके थे बावजूद इसके उन्हें पेरिस में रजत ही मिल सका।
ओलिम्पिक का यह पहला चैंपियन अनोखे व्यक्तित्व वाला था। बाद में कोनोली खिलाड़ी से पत्रकार बने। 1906 के अनाधिकारिक और 1908 के लंदन ओलिम्पिक खेलों में वे पत्रकार के रूप में ही गए थे।
यहीं नहीं, कोनोली अमेरिका नौ सेना के युध्द संवाददाता थे, उन्हें पुलित्जर पुरस्कार मिला। हॉवर्ड विश्वविद्यालय ने ही ओलिम्पिक के इस पहले चैंपियन को एथलेटिक्स लेटर पुरस्कार दिया। 20 जनवरी 1957 को कोनोली का निधन हुआ।