इक्वाडोर के मुक्केबाज कार्लोस गोंगोरा को पराजित कर सेमीफाइनल में पहुँचे भारत के बॉक्सर विजेंदर कुमार बॉक्सिंग की रिंग में जब अपने मुक्कों के दम पर जीत हासिल कर चुके थे, तब मध्यप्रदेश के धार में भी जश्न मनाया गया।
इसकी वजह यह थी कि उनके काका सतबीरसिंह और भारतीय खेल प्राधिकरण के खिलाड़ियों की खुशी का ठिकाना नहीं था। उनके काका का कहना है कि हरियाणा के भिवानी जिले के कालवाश में धार के बैडमिंटन की तरह कुश्ती और बॉक्सिंग का जुनून है।
वेबदुनिया से बातचीत में सतबीर ने बताया कि विजेंदर एक बहुत ही मध्यमवर्गीय परिवार का लड़का है। मैं सगा काका होने के नाते उसे हमेशा मार्गदर्शन दिया करता था। हालाँकि मैं प्राधिकरण में कुश्ती का कोच हूँ, किंतु उसे हमेशा विषम परिस्थिति में भी जीवटता से खेलने का हौसला देता था।
उन्होंने कहा कि जिस तरह से उसने क्वॉर्टर फाइनल में जीत हासिल की है, उससे हमें उम्मीद है कि वह कम से कम सिल्वर या गोल्ड मेडल लेकर जरूर आएगा। मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं है। जी चाहता है कि अभी बीजिंग पहुँचकर उसे चूम लूँ। हमारा पूरा परिवार खेल गतिविधियों से जुड़ा हुआ है। मेरे एक भाई रेसलिंग के कोच हैं तो एक हरियाणा के खेल प्राधिकरण में पदस्थ हैं।
मैं तबादला होने के बाद धार में कुश्ती का प्रशिक्षण दे रहा हूँ। उन्होंने कहा कि जब गाँव में मेरी बात हुई तो वहाँ भी खुशियों का माहौल था। विजेंदर के पिता सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद पेंशन से गुजारा करते हैं और परिवार की ऐसी विषम आर्थिक स्थिति में भी विजेंदर ने हौसला नहीं खोया। उसने न केवल हरियाणा व हमारे गाँव का नाम रोशन किया है, बल्कि देश का नाम भी रोशन किया है।