खेलों के सबसे बड़े मंच ओलिम्पिक में अपनी बादशाहत साबित कर चुके अमेरिकी तैराक माइकल फेल्प्स के पाँव पालने में ही नजर आने लगे थे। उनके पहले कोच बॉब बोमैन ने फेल्प्स से पहली ही मुलाकात में जान लिया था कि वे तैराकी की दुनिया के कोहीनूर हैं।
बोमैन की फेल्प्स से पहली मुलाकात तब हुई थी, जब यह नन्हा तैराक महज 11 वर्ष का था। उस कमसिन उम्र में फेल्प्स की तैरने की अद्भुत क्षमता और इस्पाती इरादों को देखकर बोमैन को उनका पहला कोच होने पर फख्र होने लगा था। एक बार तो वे फेल्प्स की विलक्षण प्रतिभा को देखकर इतना आश्चर्यचकित हुए कि उस रात सो नहीं सके।
बोमैन ने वक्त के झरोखों से छनकर आई यादों को ताजा करते हुए कहा कि वह बहुत तेज था। वह क्लब में खुद से उम्र में कहीं बड़े तैराकों के साथ तरणताल में उतरता था। उसका पहला कोच होने के नाते मेरा इरादा था कि उसके सामने मुश्किल चुनौती रखी जाए। मैंने उसके लिए बेहद कठिन प्रशिक्षण कार्यक्रम चुना।
उन्होंने कहा कि तैराकों के दल में फेल्प्स सबसे छोटा था मगर अभ्यास सत्र में और प्रशिक्षण के सबसे मुश्किल दौर में मैंने उसे अपने सहतैराकों से हमेशा आगे देखा। यह करिश्मा एक बार नहीं बल्कि हर बार देखने को मिला।
शब्दों से फेल्प्स के उस विस्मयकारी प्रदर्शन की तस्वीर खींचते हुए बोमैन ने कहा कि फेल्प्स का प्रदर्शन अविश्वसनीय था। मैंने उससे पहले ऐसा कभी नहीं देखा। जब मैं वापस अपने घर आया तो जेहन में बस फेल्प्स और उसका जबरदस्त प्रदर्शन ही घूमता रहा। उस रात मैं सो नहीं सका।
गौरतलब है कि बीजिंग ओलिम्पिक खेलों में आठ स्वर्ण पदक जीतकर नया इतिहास रचने वाले अमरीकी तैराक फे ल्प्स ओलिम्पिक में अब तक रिकॉर्ड 14 स्वर्ण जीत चुके हैं। उन्होंने एक ओलिम्पिक में आठ स्वर्ण जीतकर अपने देश के ही मार्क स्पिट्ज के सात स्वर्ण पदक जीतने के रिकॉर्ड को ध्वस्त किया था।
इसके अलावा वह ओलिम्पिक में अब तक कुल 14 स्वर्ण पदक जीतकर एक नया मील का पत्थर स्थापित कर चुके हैं, जो अन्य ओलम्पियनों के लिये अर्से तक चुनौती बना रहेगा।
फेल्प्स की प्रतिभा को देखकर तो बोमैन को एकबारगी अपनी कोचिंग क्षमताओं को बढ़ाने की जरूरत महसूस होने लगी थी। उन्हें लगने लगा था कि फेल्प्स जैसे असाधारण तैराक से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कराने के लिए प्रशिक्षण के नए रास्ते तलाशने की जरूरत है। बोमैन ने सख्त कोचिंग का दौर शुरू किया मगर फेल्प्स उस कसौटी पर भी हर बार खरे उतरे।
बोमैन ने बताया कि स्कूल में छुट्टियों के दौरान उन्होंने अभ्यास सत्र को उतना कठिन कर दिया जितना वह कर सकते थे मगर फेल्प्स पर इसका कोई असर नहीं पड़ा। फेल्प्स ने उस थका देने वाले अभ्यास को न सिर्फ सफलतापूर्वक पूरा किया बल्कि तरणताल से बाहर निकलकर शरारत भी की।
उस पल को याद करते हुए बोमैन ने कहा कि मैंने फेल्प्स से पूछा कि क्या तुम्हें थकान महसूस नहीं हो रही है। मैं फेल्प्स की उस वक्त की भाव भंगिमा कभी नहीं भूल सकता। उसने मेरी आँखों में देखते हुए कहा कि वह कभी नहीं थकता। उसने कहा कि उसे अपनी जिंदगी का लक्ष्य हासिल करना है और मंजिल से पहले उसके कदम नहीं रूकेंगे।
उन्होंने कहा कि फेल्प्स बहुत पक्के इरादे वाला एथलीट है और अब सारी दुनिया इसे अच्छी तरह समझ गई होगी। फेल्प्स ने अपने लक्ष्य को तय किया और उसे हासिल करने का रास्ता भी सफलतापूर्वक खोज लिया।