क्रिकेट ओलिम्पिक में शामिल होने का हकदार नहीं

रविवार, 17 अगस्त 2008 (13:52 IST)
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) और इसके सदस्य बोर्ड जहाँ क्रिकेट को खेलों के महाकुंभ में शामिल कराने के लिए जी-जान से जुटे हैं वहीं पूर्व ओलिम्पिक और विश्व चैम्पियन लिनफोर्ड क्रिस्टी ने इसका विरोध करते हुए कहा कि यह खेल ओलिम्पिक में जगह बनाने का हकदार नहीं है।

अंतरराष्ट्रीय ओलिम्पिक समिति ने भी हालाँकि क्रिकेट को मान्यता दे दी है लेकिन क्रिस्टी भद्रजनों के इस खेल को ओलिम्पिक में नहीं देखना चाहते।

क्रिस्टी ने कहा मैं क्रिकेट को ओलिम्पिक में शामिल करने के पक्ष में नहीं हूँ। क्रिकेट खेल नहीं मुकाबला है। खेल में एक एथलीट ट्रेनिंग लेकर प्रतिस्पर्धा की तैयारी करता है जबकि मुकाबले में अभ्यास करके तैयारी की जाती है।

सौ मीटर की फर्राटा में ओलिम्पिक विश्व चैम्पियनशिप राष्ट्रमंडल और यूरोपीय चैम्पियशिप जीतने वाले एकमात्र ब्रिटिश एथलीट ने कहा ‍कि ओलिम्पिक में व्यक्तिगत खेलों को तरजीह मिलनी चाहिए। टीम खेल में अगर नौ खिलाड़ी कड़ी मेहनत करते हैं तो उन्हें दो कमजोर खिलाड़ियों की कमी का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

उन्होंने कहा लेकिन व्यक्तिगत स्पर्धा में अगर आप जीतते हैं जो अपनी काबीलियत के दम पर और अगर हारते हैं तो अपनी कमी की वजह से इसलिए टीम खेल ओलिम्पिक में जगह बनाने के हकदार नहीं है।

यह पूछने पर कि फिर क्या दुनिया का सबसे लोकप्रिय खेल फुटबॉल भी ओलिम्पिक में होने का हकदार नहीं है? क्रिस्टी ने कहा मुझे फुटबॉल पसंद है लेकिन मैं यही कहूँगा कि इसे भी ओलिम्पिक में नहीं होना चाहिए।

जब उनसे पूछा गया कि क्या भारत में ओलिम्पिक खेलों के पिछड़ने की वजह क्रिकेट है तो बार्सिलोना में 1992 में 100 मीटर फर्राटा का ओलिम्पिक स्वर्ण जीतने वाले इस दिग्गज एथलीट ने कहा ‍कि दरअसल में भारत में लोग क्रिकेट के पीछे इसलिए भागते हैं क्योंकि टेलीविजन पर सिर्फ इसे ही दिखाया जाता है।

उन्होंने कहा लोग सचिन तेंडुलकर को भगवान की तरह मानते हैं और इसलिए उसे देखकर भगवान बनना चाहते हैं। कार्ल लेविस को सबसे कड़ा प्रतिद्वंद्वी मानने वाले जमैका में जन्में ब्रिटेन के इस धावक ने कहा कि पेशकश होने पर वह भारत के एथलीटों को कोचिंग देने पर विचार कर सकते हैं।

इस 48 वर्षीय पूर्व चैम्पियन ने कहा कि मैं भारत की मदद करने को तैयार हूँ। अगर भारत मुझे एथलेटिक्स कोच बनाने की पेशकश करता है तो मैं इस पर विचार करूँगा। मैं कई विश्व स्तरीय एथलीटों को कोचिंग दे चुका हूँ, इसलिए मुझ इसमें कोई दिक्कत नहीं होगी।

क्रिस्टी ने कहा कि भारत में एक अरब से अधिक लोग रहते हैं और अगर तलाश की जाए तो कुछ विश्व चैम्पियनों को खोजना मुश्किल का नहीं होगा।

उन्होंने कहा भारत की आबादी एक अरब से अधिक है और अगर तलाश की जाए तो पदक जीतने वाले प्रतिभावान खिलाड़ियों की तलाश करना मुश्किल नहीं होगा।

ट्रैक स्पर्धाओं में अपने करियर में किसी भी ब्रिटिश पुरुष एथलीट से अधिक कुल 23 पदक जीतने वाले क्रिस्टी ने कहा भारत में 2010 में राष्ट्रमंडल खेल होने हैं, इसलिए बुनियादी ढाँचा मौजूद रहेगा अगर जरूरत है तो प्रतिभा तलाशने की।

यह पूछने पर कि भारत में एथलेटिक्स की बेहतरी के लिए क्या करना होगा। उन्होंने कहा भारत को प्रतिभावान एथलीटों की तलाश करनी होगी और इनकी मदद के लिए सही कोचों को ढूँढना होगा।

उन्होंने कहा मैं भारत की सिर्फ एक एथलीट अंजू बॉबी जॉर्ज को जानता हूँ और उसका कोच भी विदेशी है। भारत को विदेशी कोचों पर निर्भरता कम करनी होगी और इसके लिए देश के पूर्व एथलीटों को कोच का दायित्व निभाना होगा।

क्रिस्टी ने कहा एथलीटों को पढ़े-लिखे कोच की जरूरत है जो उन्हें आधुनिक ट्रेनिंग तकनीकों और बदलावों की जानकारी दे सके।

उन्होंने युवाओं को शक्तिवर्धक दवाओं से दूर रहने की सलाह देते हुए कहा ड्रग्स से हमेशा दूर रहिए। खेल में कोई शॉर्ट कट नहीं होता। अगर आप ड्रग्स लेते हैं तो आपको इसकी कीमत भी चुकानी पड़ती है। कभी खराब स्वास्थ्य के रूप में तो कभी खेल से प्रतिबंध के रूप में। इससे कभी फायदा नहीं होता।

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