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भारत को छठा ओलिम्पिक काँस्य

बुधवार, 20 अगस्त 2008 (22:02 IST)
पहलवान सुशील कुमार का बुधवार को बीजिंग में कुश्ती में जीता गया काँस्य पदक भारत का ओलिम्पिक खेलों में काँसे का छठा और कुल मिलाकर 19वाँ तमगा है।

यही नहीं सुशील की इस उपलब्धि ने भारतीय खेलों के इतिहास में एक नया अध्याय भी जोड़ दिया। यह दूसरा अवसर है जबकि भारत ने एक ओलिम्पिक खेलों में दो पदक जीते, लेकिन यह ऐसा पहला मौका है जबकि भारत के नाम पर दो व्यक्तिगत पदक दर्ज हुए। सुशील से पहले निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने दस मीटर एयर रायफल में स्वर्ण पदक जीतकर नया इतिहास रचा था।

भारत ने 1952 में हेलसिंकी में खेले गए ओलिम्पिक खेलों में भी दो पदक जीते थे। उस समय भारत ने हॉकी में स्वर्ण जबकि कुश्ती में केडी जाधव ने काँस्य पदक जीता था। इस तरह से भारत कुश्ती में 56 साल बाद पदक हासिल हासिल करने में सफल रहा।

बिंद्रा से पहले भारत ने आठों स्वर्ण पदक हॉकी में हासिल किए थे लेकिन हॉकी से पहले ही ब्रिटिश मूल के भारतीय नार्मन प्रिचार्ड ने पेरिस में 1900 में खेले गए ओलिम्पिक खेलों में भारत का नाम पदक सूची में दर्ज करवा दिया था। प्रिचार्ड ने तब दो रजत जीते थे और तब से लेकर अब सुशील का काँस्यपदक भारत की झोली में आया 19वाँ ओलिम्पिक पदक है।

ओलिम्पिक में भारत को मान सम्मान हॉकी ने दिलाया जिसमें उसने 1928 से लेकर 1956 तक लगातार छह ओलिम्पिक खेलों में स्वर्ण पदक जीते। वह भारतीय हॉकी का स्वर्णिम युग था और उस जमाने में ओलिम्पिक शुरू होने से पहले ही भारत के नाम पर एक स्वर्ण पदक पक्का मान लिया जाता था।

भारत ने इसके अलावा 1964 के तोक्यो ओलिम्पिक और 1980 के मास्को ओलिम्पिक में हॉकी में सोने का तमगा जीता। हॉकी में भारत के स्वर्ण जीतने के अभियान पर 1960 के रोम ओलिम्पिक में पाकिस्तान ने विराम लगाया था।

इस ओलिम्पिक में भारत को रजत पदक से संतोष करना पड़ा था। इसके अलावा भारतीय हॉकी टीम ने 1968 में मैक्सिको सिटी और 1972 में म्यूनिख ओलिम्पिक में काँस्य पदक जीता था।

भारत के लिए पहला व्यक्तिगत ओलिम्पिक पदक जीतने का गौरव पहलवान केडी जाधव को हासिल है। उन्होंने 1952 के हेलंसिकी ओलिम्पिक में काँस्य पदक हासिल किया था। इसके बाद 1960 में मिल्खासिंह 400 मीटर में और 1984 में पीटी उषा 400 मीटर बाधा दौड़ में मामूली अंतर से काँस्य पदक से चूक गई थी।

लिएंडर पेस ने 1996 अटलांटा ओलिम्पिक में टेनिस के एकल मुकाबले में काँस्य पदक हासिल किया था जबकि कर्णम मल्लेश्वरी ने इसके चार साल बाद सिडनी ओलिम्पिक में भारोत्तोलन में काँसे का तमगा जीता था। निशानेबाज राज्यवर्धनसिंह राठौड़ ने एथेंस ओलिम्पिक 2004 में डबल ट्रैप में रजत पदक जीतकर भारत के खाते में एक और पदक जोड़ा था।

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