राष्ट्रीय मुक्केबाजी कोच गुरबख्श सिंह संधू ने देश के युवा मुक्केबाजों की तारीफ करते हुए कहा कि अपने पहले ओलिंपिक में उनके शानदार प्रदर्शन ने दिखा दिया कि भारतीय मुक्केबाजी का भविष्य उज्जवल है।
संधू ने एल देवेंद्रो सिंह (49 किग्रा) और सुमित सांगवान (81 किग्रा) जैसे युवाओं की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘अखिल कुमार और विजेंदर सिंह ने अपने दूसरे ओलिंपिक 2008 बीजिंग में अच्छा प्रदर्शन किया था। लेकिन अब हमारे पास युवा और प्रतिभाशाली मुक्केबाज मौजूद हैं जो निडर हैं और अपने प्रतिद्वंद्वियों से हार नहीं मानते।
मुझे लगता है कि भारतीय मुक्केबाजी का भविष्य काफी अच्छा है। बीजिंग में विजेंदर के कांस्य पदक के बाद भारतीय पुरुष मुक्केबाजों के इन खेलों में आने से पहले काफी हाइप बनी हुई थी, लेकिन वे भी पदक नहीं जीत सके।
संधू ने कहा कि जैसा कि मैंने पहले कहा है, अगर हम यहां पुरूष वर्ग में बीजिंग के प्रदर्शन दोहराते तो मुझे बहुत खुशी होती, लेकिन मैं संतुष्ट हूं, जिस तरह से हमारे मुक्केबाजों ने प्रदर्शन किया है। मुझे लगता है कि अगर आप अपना सर्वश्रेष्ठ करके हारे तो हारने में कोई शर्म नहीं है। (भाषा)