ब्रह्म-मुहूर्त में निद्रा त्यागकर, शौच, दंतधावन, स्नान इत्यादि से निवृत्त होकर शुद्ध वस्त्र पहनें।
जिस कक्ष में गुरु पादुका स्थापित हो (अथवा पादुका का पूजन करना हो) उस कक्ष में प्रवेश के पूर्व प्रवेश द्वार पर निम्न तीन मंत्रों से पृथक-पृथक द्वार देवता को प्रणाम करें-
(1) द्वार देवता प्रणाम- दाहिने भाग पर - ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं भद्रकाल्यै नमः बाएँ भाग पर - ॐ ऐं ह्रीं श्रीं भैरवाय नमः उर्ध्व भाग पर - ॐ ऐं ह्रीं श्रीं लम्बोदराय नम:
(द्वार देवताओं को प्रणाम करने के पश्चात देहरी को प्रणाम करके पूजा कक्ष में प्रवेश करें)
विशेष- पूजन शुरू करने के पूर्व पूजन सामग्री को विधिवत जमा लेना चाहिए। पूजन सामग्री को रखने का क्रम निश्चित होता है- यह ध्यान रहे।
पूजा लाल ऊनी अथवा कुशा के आसन पर बैठकर करें। दिन में पूर्व की तरफ मुँह करके बैठें, रात्रि में उत्तर दिशा में मुँह करके बैठें।
(2) पवित्रीकरण- आसन पर बैठकर दाहिने हाथ में जल लेकर निम्न विनियोग बोलें-
ॐ अपवित्रः पवित्रोवेत्यस्य वामदेव ऋषिं। गायत्री छंदः विष्णु देवता पवित्र करणे विनियोगः॥ (जल छो़ड़ दें)
पुनः बाएँ हाथ में जल लेकर निम्न मंत्र बोलते हुए स्वयं व पूजा सामग्री पर जल छिड़कें-
(4) ग्रंथिबंधन व तिलक- निम्न मंत्र बोलते हुए कुंकु अथवा चंदन से दाहिने हाथ की अनामिका से अपने भाल (मस्तक) पर तीन बार टीका (तिलक) लगाएँ-
ॐ यं यं स्पर्शयामि हस्ताभ्याम यं यं पश्यामि चक्षुषा। स एव दासतां यातु यदि शक्र समोभवेत्॥
अब शिखा पर अनामिका उँगली से स्पर्श कर बोलें-
गणाधिप नमस्कृत्य उमालक्ष्मी सरस्वतीम्। दंपत्योर रक्षणार्थाय पर ग्रंथि करोम्यहम्॥
(5) आसन पूजा- हाथ में जल लेकर निम्न विनियोग बोलें-
ॐ पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठ ऋषिः सूतलं छन्दः कूर्मो देवता आसने विनियोगः। (जल छोड़ दें) बाएँ हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ की अनामिका से आसन पर जल छींटें-
पृथ्वी त्वया घृता लोका देवी त्वं विष्णुना घृता। त्वं च धारय माम् देवि पवित्रं कुरु च आसनम्॥
दाहिने हाथ की अनामिका से बिन्दु त्रिकोण वृत्त व चतुष्कोण बनाकर कुंकु इत्यादि से पूजन निम्न मंत्र बोलते हुए करें-
ममोपात्त समस्त दुरितयक्षय द्वारा श्रीपरमेश्वर-स्वरूप गुरुदेवता प्रीत्यर्थ अस्माकं क्षेमस्थैर्य-वीर्यविजय-
आयुरारोग्य-ऐश्वर्याभिवृद्धयै समस्त मंगलावाप्त्यर्थं समस्त दुरितोप शान्त्यर्थं श्री गुरुपादुका पूजनमहं किरष्ये। तत्रादौ निर्विघ्नता सिद्धयर्थ गणेशाम्बिकयोः पूजनं चकरिष्ये। (संकल्प का जल एक पात्र में छोड़ दें)
(11) श्रीगणेश पूजन- श्रीगणेश पूजन हेतु एक सुपारी पर लाल रोली (नाड़े) को लपेटकर पूजा के पाटे पर रखें एवं वहाँ पर भावना करें कि श्रीगणेश विद्यमान हैं। हाथ में कुंकु, अक्षत, अबीर, गुलाल एवं पुष्प लेकर निम्न मंत्र बोलते हुए पूजन करें-
ॐ गणानां त्वा गणपतिं हवामहे कविं कविनामुपम श्रवस्तमम्। ज्येष्ठ राजं ब्रह्मणां ब्रह्मणस्पत आ नः श्रृण्वत्रूतिमिः सीद सादनम्॥