कैसे करें अक्षय तृतीया व्रत, जानिए 10 विशेष बातें...
अक्षय फल देता हैं अक्षय तृतीया का पूजन
अक्षय तृतीया/आखातीज अबूझ मुहूर्त माना गया है। यह पर्व वैशाख शुक्ल तृतीया के दिन मनाया जाता है। इस दिन किया हुआ जप, तप, ज्ञान तथा दान अक्षय फल देने वाला होता है अतः इसे 'अक्षय तृतीया' कहते हैं।
इसी दिन से सतयुग का आरंभ होता है इसलिए इसे युगादि तृतीया भी कहते हैं। यदि यह व्रत सोमवार तथा रोहिणी नक्षत्र में आए तो महाफलदायक माना जाता है।
यदि तृतीया मध्याह्न से पहले शुरू होकर प्रदोष काल तक रहे तो श्रेष्ठ मानी जाती है। इस दिन जो भी शुभ कार्य किए जाते हैं, उनका बड़ा ही श्रेष्ठ फल मिलता है। यह व्रत दानप्रधान है। इस दिन अधिकाधिक दान देने का बड़ा माहात्म्य है।