इस वर्ष यह व्रत शनिवार, 16 फरवरी को मनाया जा रहा है। मत-मतांतर के चलते कई स्थानों पर यह व्रत शुक्रवार, 15 फरवरी को भी मनाया गया। यह व्रत करने वालों को संतान की प्राप्ति होकर समस्त धन-धान्य, सौभाग्य का सुख मिलता है। यह व्रत करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
आइए जानें कैसे करें पूजन...
* भीष्म द्वादशी के दिन नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान के पश्चात भगवान लक्ष्मीनारायण की पूजा करनी चाहिए।
* इस पूजा में मौली, रोली, कुंमकुंम, केले के पत्ते, फल, पंचामृत, तिल, सुपारी, पान एवं दूर्वा आदि रखना चाहिए।
* पूजा के लिए (दूध, शहद, केला, गंगाजल, तुलसी पत्ता, मेवा) मिलाकर पंचामृत से भगवान को भोग लगाएं।
* भीष्म द्वादशी कथा का वाचन करना चाहिए।
* तत्पश्चात लक्ष्मी देवी एवं अन्य देवों की स्तुति-आरती की जाती है।
* पूजन के बाद चरणामृत एवं प्रसाद सभी को बांटें।
* ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद दक्षिणा देनी चाहिए। तत्पश्चात खुद भोजन करें।