छठ पर्व पर सालों बाद बना मंगलमयी संयोग, जानिए महत्व

छठ पर्व अत्यं‍त कठिन व्रत होता है। इसे छठ महापर्व कहा जाता है। इसमें 4 दिनों तक सूर्य की खास पूजा की जाती है। छठ पूजा के तीसरे और चौथे दिन निर्जला व्रत रखकर सूर्य पूजा करनी होती है। 
 
साथ ही सूर्य की बहन छठी मईया की पूजा होती है. छठी मईया बच्चों को दीर्घायु बनाती हैं। 
 
ज्यादातर घर की बुजुर्ग माता या दादी छठ करती हैं। घर की कोई एक दो वृद्ध मुखिया स्त्री, पुरुष बहु आदि ही छठ के कठिन व्रत पूजा का पालन करते हैं। 
 
घर के बाकी सदस्य उनकी सहायता करते हैं। बाकी लोग छठी मैया के गीत भजन गाते हैं। 
 
34 साल बाद बन रहा है महासंयोग...
 
छठ महापर्व मंगलवार 24 अक्टूबर से आरंभ हो चुका है। मंगलवार की गणेश चतुर्थी थी। इसी दिन सूर्य का रवियोग भी था। ऐसा महासंयोग 34 साल बाद बना। रवियोग में छठ की विधि-विधान शुरू करने से सूर्य हर कठिन मनोकामना भी पूरी करते हैं। 
 
ऐसे महासंयोग में सूर्य को अर्घ्य देने के साथ हवन किया जाए तो आयु बढ़ती है। 
 
पहले दिन नहाय--खाय में क्या करते हैं...
 
सुबह नदी या तालाब कुआं या चापा कल में नहा कर शुद्ध साफ वस्त्र पहनते हैं। 
 
छठ करने वाली व्रती महिला या पुरुष चने की दाल और लौकी शुद्ध घी में सब्जी बनाती है। उसमें सेंधा शुद्ध नमक ही डालते हैं। 
 
बासमती शुद्ध अरवा चावल बनाते हैं। गणेश जी और सूर्य को भोग लगाकर व्रती सेवन करती है। 
 
घर के सभी सदस्य भी यही खाते हैं। घर के सदस्य को मांस मदिरा का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। 

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