कार्तिक शुक्ल अष्टमी को गोपाष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गौ चारण लीला शुरू की थी। गाय को गौमाता भी कहा जाता है। पुराणों के अनुसार कार्तिक शुक्ल अष्टमी के दिन मां यशोदा ने भगवान कृष्ण को गौ चराने के लिए जंगल भेजा था। गोपाष्टमी पर गो, ग्वाल और कृष्ण को पूजने का महत्व है।
* प्रात:काल में ही गायों को भी स्नान आदि कराकर गौमाता के अंग में मेहंदी, हल्दी, रंग के छापे आदि लगाकर सजाया जाता है।
* प्रात:काल में ही धूप-दीप, अक्षत, रोली, गुड़ आदि वस्त्र तथा जल से गाय का पूजन किया जाता है और धूप-दीप से आरती उतारी जाती है।
* गायों को खूब सजाया जाता है।
* इसके बाद गाय को चारा आदि डालकर परिक्रमा करते हैं। परिक्रमा करने के बाद कुछ दूर तक गायों के साथ चलते हैं।