न्यूनं सम्पूर्णतां यातु त्वत्प्रसादाज्जनार्दन॥'
साथ ही प्रह्लाद, नारद, पाराशर, पुण्डरीक, व्यास, अम्बरीष,शुक, शौनक और भीष्मादि भक्तों का स्मरण करके चरणामृत, पंचामृत व प्रसाद वितरित करें। तत्पश्चात एक रथ में भगवान को विराजमान कर स्वयं उसे खींचें तथा नगर, ग्राम या गलियों में भ्रमण कराएं।