प्रतिवर्ष भाद्रपद माह की छठी तिथि को महिलाएं अपने पुत्र के दीर्घायु होने और उन्हें असामयिक मौत से बचाने के लिए हरछठ या हलषष्ठी व्रत करती हैं। इस दिन महिलाएं ऐसे खेत में पैर नहीं रखतीं, जहां फसल पैदा होनी हो और ना ही पारणा करते समय अनाज व दूध-दही खाती है।