आषाढ़ अमावस्या पर गंगा स्नान, दान और पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण का विशेष महत्व होता है। इस दिन हल और खेती के उपकरणों की पूजा की भी जाती है। इस दिन किसान विधि-विधान से हल पूजन करके फसल हरी-भरी बनी रहने की भगवान से प्रार्थना करते हैं ताकि घर में अन्न-धन की कमी कभी भी महसूस न हो।
इस दिन हल पूजन तथा पितृ पूजन का विशेष महत्व है। यह दान-पुण्य का पर्व है। इस दिन दान करने से पुण्य मिलता है। प्राचीन शास्त्रों के अनुसार अमावस्या तिथि के स्वामी पितृदेव हैं, अत: पितरों की तृप्ति के लिए इस तिथि का अत्यधिक महत्व है। अमावस्या का दिन पितरों की स्मृति करने और श्रद्धा भाव से उनका श्राद्ध करने के लिए अत्यंत शुभ होता है। यह श्राद्ध, दान पुण्य की अमावस्या है।
शास्त्रों के अनुसार हलहारिणी अमावस्या मनाने का उद्देश्य यह है कि किसी भी शुभ कार्य का आरंभ भगवान की आराधना, पूजन, क्षमाप्रार्थना और धन्यवाद करते हुए आरंभ करना चाहिए। रोजमर्रा के जीवन में उपयोग में आने वाली वस्तुओं का भी उचित सम्मान करना चाहिए। आइए जानते हैं इस दिन के खास उपाय-
अमावस्या पर करें ये 5 खास उपाय-
1. जिन व्यक्तियों की कुंडली में पितृ दोष हो, संतानहीन योग बन रहा हो या फिर नवम भाव में राहु नीच के होकर स्थित हो, उन व्यक्तियों को अमावस्या पर उपवास अवश्य रखना चाहिए।
2. विष्णु पुराण के अनुसार श्रद्धा भाव से अमावस्या का उपवास रखने से सिर्फ पितृगण ही तृप्त नहीं होते, अपितु ब्रह्मा, इंद्र, रुद्र, अश्विनी कुमार, सूर्य, अग्नि, अष्टवसु, वायु, विश्वदेव, ऋषि, मनुष्य, पशु-पक्षी और सरीसृप आदि समस्त भूत प्राणी भी तृप्त होकर प्रसन्न होते हैं।
5. अमावस्या के दिन उपवास करने से मनोवांछित उद्देश्य की प्राप्ति होती है।
हिन्दू धर्म में अमावस्या तिथि का अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान है। इस दिन पितृ निवारण के लिए निम्न उपाय करने से जीवन के समस्त कष्ट दूर होते हैं। अत: इस दिन पितरों को प्रसन्न करना चाहिए।