- धनंजय तिवारी
भैरवाय नमः। इस सृष्टि में अगर कोई सबसे महान गुरु है तो वो है जगतगुरु महाकाल महादेव और इस सृष्टि में यदि कोई पापों में भी महापाप है तो वो है ब्रह्महत्या जिसके कारण इंद्र को भी 1000 वर्षो तक कमलनाल में रहना पड़ा था। इस पाप का फल केवल भोगा जा सकता है इसे काटना संभव नहीं था। भगवान शिव के एक आदेश पर भगवान काल भैरव ने ब्रह्मा का शीश काट के ब्रह्महत्या के पाप का फल स्वीकार किया।
अब यहां ध्यान देने वाली बात ये है की भगवान शिव यहां केवल भगवान शिव नहीं है वो भगवान काल भैरव के गुरु भी है जिनकी आज्ञा का पालन भगवान भैरव ने भी शीश झुका करके किया। तंत्र के अधिष्ठाता बनने के पीछे का कारण यही था कि ब्रह्मा के शीश में समाहित ब्रह्मज्ञान को भगवान काल भैरव ने धारण किया जिस कारण वो जीव को ब्रह्मज्ञान प्रदान कर सकते हैं और उसी ब्रह्मज्ञान का प्रत्यक्ष रूप है भगवान कपाल भैरव।