हिन्दी पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा कहा जाता है। इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा और देव दीपावली भी कहते हैं। दरअसल, कार्तिक मास में तीन दिवाली आती है। कार्तिक मास की कृष्ण चतुर्दशी को छोटी दिवाली जिसे नरक चतुर्दशी भी कहते हैं। इसके बाद अमावस्या को बड़ी दिवाली मनाते हैं एवं पूर्णिमा को देव दिवाली मनाते हैं।
2.स्नान के बाद दीपदान, पूजा, आरती और दान करें।
3.इस दिन तुलसी की पूजा करें।
5.सत्यनारायण भगवान की कथा का श्रवण करें।
6.इस दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाकर ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें।
7.इस दिन हनुमान के सामने घी का दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें।
8.इस दिन गंगा के तट पर स्नान कर दीप जलाकर देवताओं से किसी मनोकामना को लेकर प्रार्थना करें।
9.इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से लक्ष्मी सदा के लिए प्रसन्न हो जाती है।