17 सितंबर 2018 भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीजी राधारानी का प्राकट्योत्सव है। श्रीराधारानी ने गोप वृषभानु एवं गोपी कीर्तिदा के यहां बरसाने में जन्म लिया था। ब्रज में ऐसा कहा जाता है कि भगवान कृष्ण की कृपा और श्रीधाम वृन्दावन में निवास श्रीजी राधारानी की अनुकंपा के बिना संभव नहीं है।
योगेश्वर भगवान कृष्ण के सखाओं की भांति श्रीराधारानी की भी अनेक सखियां थीं। जिन्हें सखी, नित्यसखी, प्राणसखी व प्रियसखी कहा जाता है किन्तु इनके अतिरिक्त श्रीजी राधारानी की आठ सखियां थीं जो "अष्टसखी" के नाम से सुविख्यात थीं।
जिनमें ललितासखी प्रमुख थीं। तानसेन के गुरू स्वामी हरिदास जी को ललितासखी का पुनर्जन्म माना जाता है। लेकिन क्या आप श्रीजी राधारानी की इन अष्टसखियों के नाम जानते हैं! यदि नहीं, तो आज हम श्रीजी राधारानी की अष्टसखियों की जानकारी अपने पाठकों को देंगे। श्रीमदभागवत, भक्तमाल आदि ग्रंथों में इसका वर्णन मिलता है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार श्रीजी राधारानी की अष्टसखियों के नाम हैं-