1.पौराणिक मान्यता के अनुसार श्रीकृष्ण गोवर्धन में गौचारण करते थे। इसी दौरान अरिष्टासुर ने गाय के बछड़े का रूप धरके श्रीकृष्ण पर हमला करना चाहा लेकिन श्रीकृष्ण ने उसका वध कर दिया। राधा कुंड क्षेत्र श्रीकृष्ण से पूर्व राक्षस अरिष्टासुर की नगरी अरीध वन थी। अरिष्टासुर से ब्रजवासी खासे तंग आ चुके थे। इस कारण श्रीकृष्ण ने उसका वध कर दिया था।
2.वध करने के बाद राधाजी ने बताया कि आपने गौवंश के रूप में उसका वध किया है अत: आपको गौवंश हत्या का पाप लगेगा। यह सुनकर श्रीकृष्ण ने अपनी बांसुरी से एक कुंड खोदा और उसमें स्नान किया। इस पर राधाजी ने भी बगल में अपने कंगन से एक दूसरा कुंड खोदा और उसमें स्नान किया। श्रीकृष्ण के खोदे गए कुंड को श्याम कुंड और राधाजी के कुंड को राधा कुंड कहते हैं।
6.मान्यता है कि सप्तमी की रात्रि को पुष्य नक्षत्र में रात्रि 12 बजे राधा कुंड में स्नान करते हैं। इसके बाद सुहागिनें अपने केश खोलकर राधा की भक्ति कर आशीर्वाद प्राप्त कर पुत्र रत्न प्राप्ति की प्रार्थना करती हैं। कार्तिक मास की अष्टमी को वे पति-पत्नी जिन्हें पुत्र प्राप्ति नहीं हुई है, निर्जला व्रत रखते हैं।