यह षष्ठी अति महत्वपूर्ण मानी गई है। यह तिथि भगवान शिव जी के बड़े पुत्र भगवान कार्तिकेय को समर्पित है। माना गया है कि भगवान कार्तिकेय का पूजन मनोकामना सिद्धि को पूर्ण करने में सहायक है। इस दिन भगवान कार्तिकेय के पूजन से रोग, राग, दुःख और दरिद्रता का निवारण होता है।
शास्त्रों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि स्कंद षष्ठी का व्रत करने से काम, क्रोध, मद, मोह, अहंकार से मुक्ति मिलती है और सन्मार्ग की प्राप्ति होती है। भगवान विष्णु ने माया मोह में पड़े नारद जी का इसी दिन उद्धार करते हुए लोभ से मुक्ति दिलाई थी, ऐसा पुराणों में वर्णन है।
यह व्रत करने से नि:संतान लोगों को संतान की प्राप्ति होती है साथ ही सफलता, सुख-समृद्धि, वैभव प्राप्त होता है। दरिद्रता मिटकर दु:ख का निवारण होता है, तथा जीवन में धन-ऐश्वर्य मिलता है। इतना ही नहीं इस व्रत को करने से क्रोध, लोभ, अहंकार, काम जैसी बुराइयां भी खत्म हो जाती हैं और मनुष्य अच्छा और सुखी जीवन व्यतीत करता है।