स्कंद षष्ठी व्रत कैसे रखा जाता है और किसकी करते हैं पूजा?
प्रतिवर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी (Skanda Sashti 2022) मनाई जाती है। इस वर्ष 15 अक्टूबर 2022, दिन शनिवार को स्कंद षष्ठी मनाई जा रही है। यह षष्ठी अति महत्वपूर्ण मानी गई है, क्योंकि यह तिथि भगवान शिव जी के बड़े पुत्र भगवान कार्तिकेय (Lord Kartikey) को समर्पित है।
माना गया है कि भगवान कार्तिकेय का पूजन हर मनोकामना को पूर्ण करने में सहायक है। इस दिन भगवान कार्तिकेय के पूजन से रोग, राग, दुख-दरिद्रता का निवारण होता है। यह व्रत क्रोध, लोभ, अहंकार, काम जैसी बुराइयों पर विजय दिलाकर मनुष्य को अच्छा और सुखी जीवन व्यतीत करने को प्रेरित करता है।
पौराणिक शास्त्रों के अनुसार स्कंद षष्ठी के दिन स्वामी कार्तिकेय ने तारकासुर नामक राक्षस का वध किया था, इसलिए इस दिन भगवान कार्तिकेय के पूजन से जीवन में उच्च योग के लक्षणों की प्राप्ति होती है। धार्मिक शास्त्रों में इस बात का भी उल्लेख मिलता है कि स्कंद षष्ठी का व्रत करने से काम, क्रोध, मद, मोह, अहंकार से मुक्ति मिलती है और सन्मार्ग की प्राप्ति होती है।
पुराणों में ऐसा वर्णन है कि भगवान विष्णु ने माया मोह में पड़े नारद जी का इसी दिन उद्धार करते हुए लोभ से मुक्ति दिलाई थी। इस दिन कार्तिकेय के साथ भगवान श्रीहरि विष्णु जी के पूजन का विशेष महत्व माना गया है।
इस व्रत से नि:संतानों को संतान की प्राप्ति तथा सफलता, सुख-समृद्धि, वैभव प्राप्त होता है। दरिद्रता मिटकर दुख का निवारण होता है तथा जीवन में धन-ऐश्वर्य मिलता है। इस दिन ब्राह्मण भोज के साथ स्नान के बाद कंबल, गरम कपड़े दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। अत: इस दिन भगवान कार्तिकेय का पूजन पूरे मन से अवश्य ही करना चाहिए।
कैसे करें व्रत :
- स्कन्द षष्ठी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठ कर घर की साफ-सफाई करें।
- प्रातःकाल दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नानादि करके भगवान का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
- व्रतधारी इस दिन दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके भगवान कार्तिकेय का पूजन करें।
- अब भगवान कार्तिकेय के साथ शिव-पार्वती जी की प्रतिमा को स्थापित करें।
- पूजन में घी, दही, जल, पुष्प से अर्घ्य प्रदान करके कलावा, अक्षत, हल्दी, चंदन, इत्र आदि से पूजन करें।
- इस दिन 'देव सेनापते स्कन्द कार्तिकेय भवोद्भव। कुमार गुह गांगेय शक्तिहस्त नमोस्तु ते॥' मंत्र से कार्तिकेय का पूजन करें।
- मौसमी फल, पुष्प तथा मेवे का प्रसाद चढ़ाएं।
- भगवान कार्तिकेय से क्षमा प्रार्थना करें और पूरे दिन व्रत रखें।
- सायंकाल के समय पुनः पूजा के बाद भजन, कीर्तन और आरती करने के बाद फलाहार करें।