तब श्रीकृष्ण ने कहा कि प्राचीनकाल में इंदुमती नाम की एक वेश्या थी। उसने एक बार वशिष्ठजी के पास जाकर कहा कि मुनिराज, मैं आज तक कोई धार्मिक कार्य नहीं कर सकी हूं। कृपा कर यह बताइए कि मुझे मोक्ष कैसे मिलेगा?
वेश्या की बात सुनकर वशिष्ठजी ने बताया कि स्त्रियों को मुक्ति, सौभाग्य और सौंदर्य देने वाला अचला सप्तमी से बढ़कर और कोई व्रत नहीं है इसीलिए तुम इस व्रत को माघ शुक्ल सप्तमी के दिन करो, इससे तुम्हारा सभी तरह से कल्याण हो जाएगा।