दंत कथाओं में तेजाजी के चार से पांच भाई बताए गए थे जबकि वंशावली के अनुसार तेजाजी तेहड़जी के एक ही पुत्र थे तथा तीन पुत्रियां कल्याणी, बुंगरी व राजल थी। तेजाजी के पिता तेहड़जी के कहड़जी, कल्याणजी, देवसी, दोसोजी चार भाई थे। जिनमें देवसी की संतानों से आगे धोलिया गौत्र चला। धोलिया वंश की उत्पति खरनाल से ही हुई थी। इसके बाद वि.सं. 1650 में कुछ लोग गांव छोड़कर दूसरी जगहों पर जाकर बस गए जिससे राज्य भर में धोलिया जाति फैल गई।