वैशाखी पूर्णिमा पर करें 10 दान, हर समस्या का होगा निदान
मंगलवार, 3 मई 2022 (12:05 IST)
16 मई 2022 को वैशाख पूर्णिमा रहेगी। इसी दिन बुद्ध पूर्णिमा रहेगी यानी गौतम बुद्ध की जयंती भी है। इसी दिन भृगु जयंती भी मनाई जाएगी। इस पूर्णिमा को पीपल पूर्णिमा भी कहते हैं। आओ जानते हैं प्रमुख 10 दानों का महत्व।
वैशाखी पूर्णिमा का महत्व- Importance of Vaishakh Purnima : भविष्य पुराण, आदित्य पुराण में वैशाखी पूर्णिमा को अत्यंत पवित्र एवं फलदायी माना गया है। इस दिन पिछले एक महीने से चला आ रहा वैशाख स्नान एवं विशेष धार्मिक अनुष्ठानों की पूर्ण आहूति की जाती है। मंदिरों में हवन-पूजन के बाद वैशाख महात्म्य कथा का परायण किया जाता है। इस दिन प्रातः नदियों एवं पवित्र सरोवरों में स्नान के बाद दान-पुण्य का विशेष महत्व कहा गया है। इस दिन पीपल की पूजा करने का खासा महत्व है। पितरों के निमित्त पवित्र नदियों में स्नानकर हाथ में तिल रखकर तर्पण करने से पितरों की तृप्ति होती हैं एवं उनका आशीर्वाद मिलता है। पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने घी से भरा हुआ पात्र, तिल और शक्कर स्थापित कर पूजन करना चाहिए। यदि हो सके तो पूजन के समय तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए।
वैशाखी पूर्णिमा का दान (Vaishakhi Purnima Daan):
1. धर्मराज के निमित्त जल से भरा हुआ कलश, पकवान एवं मिष्ठान आज के दिन दान करना, गौदान के समान फल देने वाले बताए गए हैं।
2. वैशाख पूर्णिमा के दिन शक्कर और तिल दान करने से अनजान में हुए पापों का भी क्षय हो जाता है।
3. इस माह में पंखे का दान करना भी पुण्य का काय है। धूप और परिश्रम से पीड़ित लोगों को जो पंखे से हवाकर शीतलता प्रदान करता है, वह इतने ही मात्र से निष्पाप होकर भगवान का प्रिय हो जाता है। पुराने समय में ताड़ का पंखा दान किया जाता था। इससे ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है।
4. शास्त्र कहते हैं कि जो किसी जरूरतमंद व्यक्ति को पादुका या जूते-चप्पल दान करता है, वह यमदूतों का तिरस्कार करके भगवान श्री हरि के लोक में जाता है।
5. इस दिन जल का दान सबसे बड़ा पुण्य माना गया है। अत: प्याऊ लगाकर राहगीरों को जल जरूर पिलाएं। इस पुण्य कार्य के माध्यम से जातक त्रिदेव की कृपा प्राप्त करता है।
6. इस दिन जल से भरा घड़ा दान करने से सभी देवी और देवताओं की कृपा प्राप्त होती है। जल से भरा मिट्टी का घड़ा मंदिर में दान करें। साथ ही कुल्हड़, सकोरे भी दान करें।
7. अन्न दान करने से बड़ा कोई पुण्य नहीं। दोपहर में आए हुए ब्राह्मण, अतिथि या भूखे जीव को यदि कोई भोजन करवाए तो उसको अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन सत्तू, ककड़ी, खरबूजा, चावल, दूध, दही, घी, फल, इमली, सब्जी, शहद, पंचमेवा, पंचधान, सीधा दान आवश्य करें।
8. वस्त्र दान में कुर्ता, पायजामा, दरी, धोति आदि दान करें।
9. इस दिन दूध और खीर का दान करने से सभी तरह के चंद्रदोष के साथ ही संकट समाप्त हो जाते हैं।