राम और सीता भारतीय जनमानस में प्रेम, समर्पण, उदात्त मूल्य और आदर्श के परिचायक पति-पत्नी हैं। इतिहास-पुराण में राम-सा कोई पुत्र, भाई, योद्धा और राजा नहीं हुआ। उसी तरह इतिहास-पुराण में सीता-सी कोई पुत्री, पत्नी, मां, बहू नहीं हुई। इसलिए भी हमारे समाज में राम और सीता को आदर्श पति-पत्नी के रूप में स्वीकारा, सराहा और पूजा जाता है। इसी के मद्देनजर राम-सीता के विवाह की वर्षगांठ को उत्सव के रूप में मनाए जाने की परंपरा है।