2025 में ओणम कब है, जानें शुभ मुहूर्त, कथा, महत्व और इतिहास

WD Feature Desk

गुरुवार, 21 अगस्त 2025 (16:15 IST)
Onam in 2025: ओणम कब है 2025 में: ओणम का त्योहार 2025 में 5 सितंबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा। यह 10 दिनों तक चलने वाला उत्सव है, जिसका मुख्य दिन 'थिरुवोणम' कहलाता है। मलयालम कैलेंडर के चिंगम महीने में आने वाला यह पर्व आमतौर पर अगस्त-सितंबर के महीने में होता है। वर्ष 2025 में ओणम मंगलवार, 26 अगस्त को अथम से शुरू होकर 5 सितंबर 2025, दिन शुक्रवार को थिरुवोणम को समाप्त होगा।ALSO READ: गणेश चतुर्थी 2025: घर पर ऐसे बनाएं इको-फ्रेंडली गणपति, जानें सजावट और पूजा की टिप्स
 
ओणम शुरू : मंगलवार, 26 अगस्त अगस्त 2025
अथ्थाचमयम, अतापू पूकलम
हस्त नक्षत्र- प्रारम्भ 26 अगस्त 03:49 ए एम से
हस्त नक्षत्र- समाप्त 27 अगस्त को 06:04 ए एम पर।, 
 
थिरुवोणम 2025 : शुक्रवार, 5 सितंबर को
थिरुवोणम् नक्षत्रम् प्रारम्भ - 4 सितंबर की रात 11:44 बजे से, 
थिरुवोणम् नक्षत्रम् समाप्त - 5 सितंबर की रात 11:38 बजे  समाप्त होगा।
 
ओणम का पौराणिक महत्व और इतिहास: ओणम केरल का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व सिर्फ एक फसल उत्सव नहीं, बल्कि इसका गहरा पौराणिक और सांस्कृतिक महत्व है। ओणम एक फसल उत्सव भी है, जो मानसून की समाप्ति और नई फसल की शुरुआत का प्रतीक है। इस समय किसान अच्छी पैदावार के लिए प्रकृति और देवताओं का आभार व्यक्त करते हैं।
 
पौराणिक कथा: ओणम का सबसे लोकप्रिय और प्रमुख पौराणिक महत्व असुर राजा महाबली से जुड़ा हुआ है। पौराणिक कथा के अनुसार, महाबली एक अत्यंत दयालु और शक्तिशाली राजा थे, जिनके शासनकाल में केरल में सुख, समृद्धि और समानता थी। उनकी दानशीलता और शक्ति से देवताओं को ईर्ष्या होने लगी, जिससे उन्होंने भगवान विष्णु से मदद मांगी।ALSO READ: इस बार गणेश चतुर्थी बुधवार को, कई शुभ योग में स्थापित होंगे गणपति, जानें विसर्जन का मुहूर्त
 
भगवान विष्णु ने वामन यानी बौने ब्राह्मण का रूप धारण किया और महाबली के पास तीन पग भूमि दान में मांगने के लिए पहुंचे। महाबली ने बिना सोचे-समझे दान देने का वचन दिया। वामन ने अपने पहले पग में पूरी पृथ्वी और दूसरे पग में पूरा आकाश नाप लिया। जब तीसरे पग के लिए कोई जगह नहीं बची, तो राजा महाबली ने अपना वचन निभाने के लिए अपना सिर वामन के सामने झुका दिया। वामन ने अपना तीसरा पग महाबली के सिर पर रखा और उन्हें पाताल लोक भेज दिया।
 
हालांकि, राजा की दानशीलता और वचनबद्धता से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें वरदान दिया कि वे साल में एक बार अपनी प्रजा से मिलने के लिए पृथ्वी पर वापस आ सकते हैं। यह दिन 'थिरुवोणम' के रूप में मनाया जाता है। केरल के लोग इस दिन अपने प्रिय राजा के स्वागत की तैयारियां करते हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि राजा महाबली जब आएं तो उनका राज्य समृद्ध और खुशहाल दिखे।
 
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