तैयारी- तीन महीने पहले से तुलसी के पौधे को रोज जल चढ़ाएँ तथा पूजा करें। एकादशी को पंचांग से विवाह मुहूर्त निकाल मंडप तैयार करें। चार गन्नों को क्रॉस में खड़ा कर नया पीला कपड़ा बाँधकर मंडप बनाएँ। हवन कुंड बनाएँ। नांदीमुख श्राद्ध कर कुश आसन पर बैठकर आचमन कर संकल्प करें-
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ॐ अद्येतादि देश कालौ संकीर्त्य (आराधक नाम) अहं, गोत्रः (गोत्र) ममाऽखिल-षिविंधिपांतकशमनपूर्वाकाभीष्ट सिद्ध द्वारा श्री महाविष्णु प्रीत्यर्थ तुलसी विवाह करिष्ये। तदंगत्वेन गणेश पूजन स्वस्ति पुण्याहवाचनं ग्रहयज्ञश्य करिष्ये।
संकल्प के बाद श्री गणेश पूजन करें, नवग्रह पूजा करें व कलश में जल भरकर पाटे पर कपड़ा बिछाकर तुलसी एवं श्रीविष्णु की प्रतिमा स्थापित कर पूजा करें-
इसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा तुलसी के सम्मुख रखकर दोनों को एक वस्त्र से छुआकर मंगलाष्टक पदों का पाठ करें। दोनों पर अक्षत चढ़ाकर भगवान श्रीविष्णु को तुलसी का दान करें। इसके बाद संक्षिप्त हवन करके तुलसी विवाह संपन्न करें।