पुरुषोत्तम मास में मिलेगा पुण्य फल

- पं.लक्ष्मीकांत शुक्ल

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पुरुषोत्तम मास गुरुवार, 15 अप्रैल से प्रारंभ हो चुका है। इस मास में जहाँ दान धर्म आदि करने का उल्लेख पुराणों में किया गया है वहीं विभिन्न यात्राएँ भी पुरुषोत्तम मास में होती है। इनमें सप्तसागर तथा चौरासी महादेव के साथ ही नौ नारायण यात्रा प्रमुख है।

धार्मिक नगरी उज्जैन में करीब 29 यात्राएँ होती हैं। इनमें से कुछ तो विलुप्त-सी हैं और कुछ ऐसी हैं जिनके बारे में नागरिकों को जानकारी कम है। जो लोग इन यात्राओं का महत्व जानते हैं वे ऐसी यात्राओं को करने के लिए पुरुषोत्तम मास का इंतजार करते हैं।

अन्य यात्राओं की तरह ही नौ (नव) नारायण की यात्रा होती है। नौ नारायण से तात्पर्य नौ स्थानों पर विराजित भगवान विष्णु से है। इनके मंदिर उज्जैन शहर के विभिन्न स्थानों पर हैं। इनमें अनंतनारायण, सत्यनारायण, पुरुषोत्तमनारायण, आदिनारायण, शेषनारायण, पद्मनारायण, लक्ष्मीनारायण, बद्रीनारायण तथा चतुर्भुजनारायण शामिल हैं। नौ नारायणों का उल्लेख स्कंद पुराण में भी मिलता है। ये भगवान विष्णु के दशावतार के स्वरूप भी माने जाते हैं। उल्लेखनीय है कि नौ नारायण सिर्फ उज्जैन में ही विराजित हैं।

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- पुरुषोत्तम भगवान की लीला अपरंपार है। नौ नारायण यात्रा की शुरुआत पुरुषोत्तमनारायण से ही होती है।

- अनंत भगवान के चमत्कार किसी से छुपे नहीं हैं। मात्र दर्शन करने से ही मनोकामना पूरी हो जाती है।

- सत्यनारायण भगवान की जय बोलने से ही जब प्रतिफल मिल जाता है, फिर दर्शन या पूजा करने से तो उनका आशीर्वाद सदैव साथ रहता है।

- माखन मिश्री अर्पित करने वाले श्रद्घालुओं को सुख-समृद्घि मिलती है। मंदिर में नौ नारायण यात्रियों का आगमन होने लगेगा।

- आदिनारायण भगवान विष्णु का अद्भुत स्वरूप है। इनके दर्शन मात्र से दुःखों से छुटकारा मिल जाता है।

- नौ नारायण यात्रा में पद्मनारायण मंदिर का विशेष महत्व है। पुरुषोत्तम मास में यहाँ श्रद्घालुओं का ताँता लगा रहेगा।

- शेषनारायण की मूर्ति चमत्कारी है और यहाँ दर्शनों से मनोकामना पूर्ण हो जाती है।

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