3. माना जाता है कि ब्रह्माजी की 5 पत्नियां थीं- सावित्री, गायत्री, श्रद्धा, मेधा और सरस्वती। इसमें सावित्री और सरस्वती का उल्लेख अधिकतर जगहों पर मिलता है जो उनकी पत्नियां थीं लेकिन बाकी का उल्लेख स्पष्ट नहीं है।
5. मान्यता है कि पुष्कर में यज्ञ के दौरान सावित्री के अनुपस्थित होने की स्थित में ब्रह्मा ने वेदों की ज्ञाता विद्वान स्त्री गायत्री से विवाह कर यज्ञ संपन्न किया था। यह गायत्री संभवत: उनकी पुत्री नहीं थी। इससे सावित्री ने रुष्ट होकर ब्रह्मा को जगत में नहीं पूजे जाने का शाप दे दिया था। हालांकि इसके बारे में भी पुराणों में स्पष्ट नहीं है।
6. गायत्री माता को आद्याशक्ति प्रकृति के पांच स्वरूपों में एक माना गया है। कहते हैं कि किसी समय में यह सविता की पुत्री के रूप में जन्मी थीं, इसलिए इनका नाम सावित्री भी पड़ा। कहीं-कहीं सावित्री और गायत्री के पृथक्-पृथक् स्वरूपों का भी वर्णन मिलता है। भगवान सूर्य ने इन्हें ब्रह्माजी को समर्पित कर दिया था जिसके चलते इनका एक नाम ब्रह्माणी भी हुआ।
7. पुराणों की एक अन्य मान्यता के अनुसार भगवान की नाभि से कमल उत्पन्न हुआ। कमल से ब्रह्माजी उत्पन्न हुए। ब्रह्मजी से सावित्री हुई। ब्रह्मा और सावित्री के संयोग से चारों वेद उत्पन्न हुए। वेद से समस्त प्रकार का ज्ञान उत्पन्न हुई। इसके बाद ब्रह्मा ने पंच भौतिक सृष्टि की रचना की। उन्होंने दो तरह की सृष्टि उत्पन्न की एक चैतन्य और दूसरी जड़। ब्रह्मा की दो भुजाएं हैं जिन्हें संकल्प और परमाणु शक्ति कहते हैं। संकल्प शक्ति चेतन सत् सम्भव होने से ब्रह्मा की पुत्री हैं और परमाणु शक्ति स्थूल क्रियाशील एवं तम सम्भव होने से ब्रह्मा की पत्नी हैं। इस प्रकार गायत्री और सावित्री ब्रह्मा की पुत्री और पत्नी नाम से प्रसिद्ध हुई।