समानता की पैरवी करता है पारसी नववर्ष, जानिए पारंपरिक तरीके से कैसे करें सेलीब्रेशन

- राजश्री कासलीवाल
 
शनिवार, 17 अगस्त 2019 पारसी नववर्ष मनाया जा रहा है। यूं तो भारत के हर त्‍योहार में घर सजाने से लेकर मंदिरों में पूजा-पाठ करना और लोगों का एक-दूसरे को बधाई देना शामिल है। लेकिन पारसी समाज में आज भी त्‍योहार उतने ही पारंपरिक तरीके से मनाए जाते हैं, जैसे कि वर्षों पहले मनाए जाते थे। 
 
जो बात पारसी नववर्ष को खास बनाती है, वह यह कि ‘नवरोज’ समानता की पैरवी करता है। पारसी समुदाय के लिए पारसी नववर्ष दिवस बेहद महत्वपूर्ण होता है, अत: इस दिन निम्न परंपराओं का पालन करना चहिए। 
 
* पारसी नववर्ष के दिन सुबह जल्दी उठें। 
 
* घर के प्रत्येक कोने को साफ-सुथरा करके सुगंधित अगरबत्तियां जलाएं एवं चंदन का पावडर छिड़कें। 
 
* सुगंधित लाल गुलाब के फूलों से अपने घर एवं कमरों को सजाएं। साथ ही चमेली के पुष्‍प का भी उपयोग करें। 
 
* इस दिन विशेष तौर पर चटकीले लाल रंग की रंगोली बनाएं ताकि आपके भाग्य और समृद्धि बढ़ें। 
 
* इस दिन गुलाब के पानी से सुगंधित स्नान करें। 
 
* नए वस्त्र धारण करें। अपनी पसंद का इत्र लगाएं। 
 
* इस दिन पारसी मंदिर अग्यारी (अगियारी) में प्रार्थना करने अवश्य जाएं। 
 
* अग्यारी में अपने सिर को ढंककर प्रार्थना करें। 
 
* तत्पश्चात पवित्र अग्नि के समक्ष चंदन की लकड़ी जलाकर सच्चे मन से ईश्वर से प्रार्थना करें। 
 
* अग्यारी में सभी उपस्थित लोगों को नववर्ष की शुभकामनाएं दें। 
 
* इतना ही नहीं, घर आने वाले मेहमानों पर गुलाब जल और इत्र छिड़ककर उनका स्वागत करें। 

* नवरोज के दिन अपने मित्रों और परिचितों, रिश्तेदारों से मिलें। उन्हें उपहार दें एवं सभी से सकारात्मक ऊर्जा के साथ मिलें।

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