निशानेबाज मनु भाकर के माता-पिता ने यहां सूरजकुंड रोड स्थिति घर पर दिन की शुरुआत एक छोटे से हवन के साथ की और यह अनुष्ठान तब तक जारी रहा जब तक चैंपियन पिस्टल निशानेबाज ने पेरिस ओलंपिक में रविवार को भारत के लिए पहला पदक (कांस्य) हासिल नहीं कर लिया।मनु निशानेबाजी में पदक जीतने वाली देश की पहली महिला बनीं। मनु ने ओलंपिक निशानेबाजी में देश के लिए पदक का 12 साल के सूखा खत्म किया।
उनके पिता राम किशन ने तीसरी मंजिल के फ्लैट से निकल कर शुभचिंतकों का अभिवादन स्वीकार करने के बाद कहा कि यह मनु का यह पदक उनकी मेहनत और कोच जसपाल राणा के आशीर्वाद के कारण संभव हुआ है।
राम किशन ने PTI-(भाषा) वीडियो से कहा, मनु की मेहनत, जसपाल का आशीर्वाद और खेल मंत्रालय की सहायता, इन सभी ने उनकी सफलता में मदद की। इन सब के सहयोग के कारण ही भारत का (निशानेबाजी में पदक का) 12 साल का सूखा समाप्त हुआ।
राम किशन ने कहा कि उन्हें आने वाले दिनों में मनु से और सफलता की उम्मीद है।उन्होंने कहा, यह शुरुआत है, उसके दो और मैच हैं। वह हमसे हर दिन कुछ मिनट बात करती है, वह एकाग्र और खुश है।
उन्होंने कहा कि वह तीन साल पहले तोक्यो ओलंपिक में भी सफल हो सकती थी लेकिन पिस्टल की खराबी के कारण ऐसा नहीं हो सका।राम किशन ने कहा, तोक्यो में पिस्टल की खराबी के कारण उसे निराशा झेलनी पड़ी थी। उसका प्रदर्शन वहां भी खराब नहीं था। एक खिलाड़ी के रूप में, वह जानती थी कि तोक्यो में उसने अच्छा किया था।
राम किशन ने कहा कि वे थोड़े अंधविश्वासी है और जब भी मनु कोई बड़ा मैच खेलती हैं तो वे टेलीविजन बंद कर देते हैं और रविवार को भी ऐसा ही हुआ।
उन्होने कहा, जब मनु खेल रही होती है, तो हम टीवी नहीं देखते हैं। इसलिए, हमारे दोस्त और रिश्तेदार हमें उसकी सफलता के बारे में बताने के लिए फोन करते हैं। मेरी पत्नी सुबह से पूजा कर रही थी और हमें खुशी है कि इतने सारे शुभचिंतकों ने हमें फोन किया है।
तोक्यो ओलिंपिक से पहले कोच जसपाल से अलग होने और करीब डेढ़ साल पहले फिर से साथ आने के बारे में पूछे जाने पर राम किशन ने कहा, जब आप एक ही चीज बार-बार करते हैं तो बोरियत होने लगती है। मनु ने सोचा कि उसे कुछ समय के लिए निशानेबाजी छोड़ देनी चाहिए लेकिन इसके बाद उसने जसपाल से बात की और उनकी मां ने उसे समझाया कि जसपाल का साथ होना उसके लिए कितना अहम है।
मनु की सफलता से बेहद खुश उनकी मां सुमेधा ने कहा कि यह परिवार के लिए एक विशेष दिन है।उन्होंने कहा, मैं बहुत खुश हूं कि मनु और जसपाल ने मिलकर हमें इतना बड़ा दिन दिया है और हम इस खास दिन का जश्न मना रहे हैं। सुबह से हम दोनों एक साथ बैठे हैं। मुझे अपनी भावनाओं और विचारों को एक नोटबुक में लिखने की आदत है। जो मैं सुबह से कर रही हूं।
उन्होंने कहा, जसपाल ने मनु के साथ वास्तव में कड़ी मेहनत की है। वह तोक्यो में उसके साथ नहीं थे, इसलिए शायद वह वहां पदक नहीं जीत सकी। अब जब वे एक साथ है, तो मैं बहुत खुश हूं।