भारतीय नौकाचालक विष्णु सरवनन को तोक्यो में अपने पहले ओलंपिक में निर्भीक रवैये से काफी मदद मिली थी और अब वह अगले महीने पेरिस में भी इसी हार नहीं मानने की मानसिकता को जारी रखने के लिए तैयार हैं।
सरवनन ने इस साल की शुरू में आस्ट्रेलिया में आईएलसीए 7 पुरुष विश्व चैम्पियनशिप से अपने दूसरे ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया।इस 25 साल के नौकाचालक ने कहा, तोक्यो में मैं निर्भीक होकर खेला था। वो मेरा पहला ओलंपिक था तो मुझे नतीजे की इतनी परवाह नहीं थी। मैं बस अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना चाहता था और मैंने ठीक प्रदर्शन किया था।
सरवनन ने मंगलवार को भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) द्वारा करायी गयी वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि वह अनुभवी नौकाचालकों और उनकी उपलब्धियों से प्रभावित नहीं हुए जिससे उन्हें बेहतर प्रदर्शन करने का भरोसा मिला।
एशियाई खेलों के कांस्य पदक विजेता ने कहा, उस निडरता ने मुझे सिखाया कि आप खुद को कुछ अनुभवी खिलाड़ियों से कमतर नहीं आंककर बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। आपको सहजता के उस स्तर तक जाना होगा जहां आप अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकें और मुझे लगता है कि मैंने इस सत्र में सुधार किया है।
उन्होंने कहा, मैं आत्मविश्वास से भरा था और मैं हार नहीं मानने के जज्बे से खेल रहा था तो मैं उन्हें हराना चाहता था।
विश्व में 17वें नंबर के नौकाचालक सरवनन पिछले एक महीने से मार्सेल में ट्रेनिंग कर रहे हैं। वहां वह ओलंपिक स्थल पर साइप्रस के लंदन 2012 रजत पदक विजेता पावलोस कोंटाइड्स और क्रोएशिया के रियो और तोक्यो रजत पदक विजेता टोन्सी स्टिपनोविच के साथ ट्रेनिंग कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, मैं भाग्यशाली रहा हूं कि मुझे ओलंपिक स्थल में ट्रेनिंग लेने का मौका मिला और मेरे साथ ओलंपिक पदक जीतने वाले खिलाड़ी हैं। मैं पावलोस कोंटाइड्स और टोन्सी स्टिपनोविच के साथ ट्रेनिंग कररहा हूं जो कई साल से शीर्ष पांच में रहे हैं। सरवनन ने कहा, मैं सेना में हूं लेकिन कभी युद्ध में नहीं गया हूं। लेकिन जब मैं इन नौकाचालकों के साथ पानी में नौकायन कर रहा होता हूं तो
ऐसा लगता है कि मैं हर दिन लड़ाई लड़ रहा हूं। मेरी हृदय गति कभी भी 150 से नीचे नहीं होती। सरवनन जानते हैं कि पेरिस ओलंपिक में उनकी सबसे बड़ी चुनौती कठिन परिस्थितियों से निपटना होगी। (भाषा)